लिवर रोग अलग-अलग व्यक्तियों को अलग-अलग प्रकार के हो सकते है। "फैटी लिवर" लिवर के ख़राब होने का सबसे मुख्य प्रकार है। इसके अलावा भी कई प्रकार के लिवर रोग हो सकते है
गर्भावस्था के दौरान मां बनने वाली स्त्री को कई गंभीर दौर से गुज़रना पड़ता है। यह ऐसा समय होता है जब कुछ न कुछ जटिलता होने की आशंका हमेशा रहती है।
जीवन के लिए स्वच्छ वायु न केवल मानव बल्कि सभी जीवधारियों के लिए आवश्यक है। स्वच्छ वायु हमें वायुमंडल से प्राप्त होती है
जब हमारे शरीर का तापमान सामान्य अवस्था से अधिक हो जाता है तो उस स्थिति को बुखार कहते है। मेडिकल भाषा में इसे हाइपरथर्मिया और पायरेक्सिया के नाम से जाना जाता है। शरीर का सामान्य तापमान 98.6 डिग्री फारेनहाइट होता है
पीलिया (जॉन्डिस) एक जानलेवा बीमारी है जो हमारे शरीर में बिलीरुबिन की मात्रा अधिक होने के कारण होती है। दरअसल बिलीरुबिन एक गाढ़ा पदार्थ होता है जिसका निर्माण उत्तकों और रक्त में होता है। जब किसी कारणवंश लाल रक्त कोशिकाएं टूट जाती है तो पीले रंग के बिलीरुबिन का निर्माण होता है। आमतौर पर बिलीरुबिन लिवर से फिलटर होकर शरीर से बाहर निकलता है लेकिन जब यह लिवर द्वारा फिलटर नहीं होता है तो शरीर में इसकी मात्रा बढ़ जाती है जिससे पीलिया हो जाता है। लिवर बिलीरुबिन को रक्त से अपशिष्ट पदार्थ के रूप में लेता है और इसकी रासायनिक संरचना को बदलकर इसके अधिकांश भाग को पित्त के माध्यम से मल के रूप में निकालता है। बिलीरुबिन का रंग
आमतौर पर जब थायराइड ग्रंथि ज़रूरत से कम या अधिक हार्मोन बनाने लगती है तो थायराइड से जुड़ी कई तरह की समस्याएं पैदा हो सकती है। जिससे शरीर के काम करने का संतुलन बिगड़ जाता है। यहां तक कि थायराइड ग्रंथि में कैंसर वाली कोशिकाएं बनने या सूजन होने के कारण हार्मोन्स में असंतुलन हो जाता है। जिससे थाइराइड कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। हाइपरथायराइड की स्थिति में थायराइड ग्रंथि अधिक सक्रिय हो जाती है जिसके कारण अधिक मात्रा में थायराइड हार्मोन का निर्माण होने लगता है। हाइपोथायराइड की स्थिति में थायराइड ग्रंथि से कम मात्रा में थायराइड हार्मोन का निर्माण होता है। थायराइड कैंसर एंडोक्राइन कैंसर का सबसे खतरनाक रूप है। उत्तक के आधार पर थायराइड कैंसर को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है। इसमें डिफ्रेंशियल थायराइड कैंसर और एनाप्लास्टिक थायराइड कैंसर शामिल होते है।
एक स्वस्थ व्यक्ति में एक से डेढ़ लाख तक प्लेटलेट होने चाहिए। डेंगू होने पर प्लेटलेट काउंट घटता है। आमतौर पर 40,000 से 50,000 तक प्लेटलेट काउंट घट जाने पर कोई चिंताजनक बात नहीं होती। इसे सही डाइट और दवा के जरिए बढ़ाया जा सकता है। लेकिन 40,000 से कम होने पर डेंगू शॉक सिंड्रोम का खतरा होता है। वहीं अगर प्लेटलेट काउंट 10-20 हजार तक आ जाए तो इससे व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।
किडनी की बीमारी को साइलेंट किलर के रूप में भी जाना जाता है। जिसकी वजह यह है कि लाखों लोग किडनी की कई तरह की बीमारियों से पीड़ित होते है और उन्हें इसका पता ही नहीं होता
आमतौर से मलेरिया के लक्षण संक्रमित मच्छरों के काटने के सात दिनों बाद से विकसित होते है। अगर किसी को मलेरिया के मच्छर ने काटा है तो उसके लक्षण सात से अट्ठारह दिनों के बीच विकसित होना शुरू होते है। कई मामलों में और भी अधिक समय लग सकता है। मलेरिया के प्रारंभिक लक्षण फ्लू की तरह है। ये लक्षण अक्सर हल्के होते है और कभी-कभी इन्हें मलेरिया के रूप में पहचानना मुश्किल होता है। इसके सबसे प्रमुख लक्षण इस प्रकार है।
आईए जानते है कि आखिर ब्रेस्ट कैंसर क्या होता है? ब्रेस्ट कैंसर एक ऐसी स्थिति होती है जब ब्रेस्ट यानी महिलाओं के स्तनों में कैंसर कोशिकाएं बढ़ जाती है और यह ट्यूमर का रूप ले लेता है। आमतौर पर ब्रेस्ट में दूध उत्पादक ग्रंथियों लोब्यूल या पथ नलिकाओं में कैंसर विकसित होता है