कब्ज एक ऐसी बीमारी है जिससे हर दूसरा व्यक्ति परेशांन रहता है। यह बीमारी काफी तेज़ी से बढ़ रही है। दरअसल इस बीमारी में हमारा पेट सही से साफ़ नहीं हो पाता है। हम जो कुछ खाते है उसका मल हमारे पेट में ही जमा रहता है
आप ने अक्सर महसूस किया होगा कि कई बार अचानक से कुछ भी खाने का दिल नहीं करता। लंबे समय तक कुछ भी न खाने के बावजूद भी भूख का अनुभव नहीं होता है। ऐसे समय में मनपसंद खाना भी अच्छा नहीं लगता है
Several Indian celebrities with cancer have openly discussed their struggles with this disease. Through the telling of their stories, they have become a source of inspiration for anyone facing a similar challenge. Let's take a glimpse at some well-known Bollywood celebrities who fought cancer and successfully conquered this formidable disease through their courageous battles.
लिवर रोग अलग-अलग व्यक्तियों को अलग-अलग प्रकार के हो सकते है। "फैटी लिवर" लिवर के ख़राब होने का सबसे मुख्य प्रकार है। इसके अलावा भी कई प्रकार के लिवर रोग हो सकते है
गर्भावस्था के दौरान मां बनने वाली स्त्री को कई गंभीर दौर से गुज़रना पड़ता है। यह ऐसा समय होता है जब कुछ न कुछ जटिलता होने की आशंका हमेशा रहती है।
जीवन के लिए स्वच्छ वायु न केवल मानव बल्कि सभी जीवधारियों के लिए आवश्यक है। स्वच्छ वायु हमें वायुमंडल से प्राप्त होती है
जब हमारे शरीर का तापमान सामान्य अवस्था से अधिक हो जाता है तो उस स्थिति को बुखार कहते है। मेडिकल भाषा में इसे हाइपरथर्मिया और पायरेक्सिया के नाम से जाना जाता है। शरीर का सामान्य तापमान 98.6 डिग्री फारेनहाइट होता है
पीलिया (जॉन्डिस) एक जानलेवा बीमारी है जो हमारे शरीर में बिलीरुबिन की मात्रा अधिक होने के कारण होती है। दरअसल बिलीरुबिन एक गाढ़ा पदार्थ होता है जिसका निर्माण उत्तकों और रक्त में होता है। जब किसी कारणवंश लाल रक्त कोशिकाएं टूट जाती है तो पीले रंग के बिलीरुबिन का निर्माण होता है। आमतौर पर बिलीरुबिन लिवर से फिलटर होकर शरीर से बाहर निकलता है लेकिन जब यह लिवर द्वारा फिलटर नहीं होता है तो शरीर में इसकी मात्रा बढ़ जाती है जिससे पीलिया हो जाता है। लिवर बिलीरुबिन को रक्त से अपशिष्ट पदार्थ के रूप में लेता है और इसकी रासायनिक संरचना को बदलकर इसके अधिकांश भाग को पित्त के माध्यम से मल के रूप में निकालता है। बिलीरुबिन का रंग