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पेट में होता है दर्द व एसिडिटी? ये है कैंसर के लक्षण! जानिए इसका कारण व इलाज

icon-blog By -Dr. Kanika Sharma
icon-blog By -December 8, 2023
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पेट में होता है दर्द व एसिडिटी? ये है कैंसर के लक्षण! जानिए इसका कारण व इलाज

पेट के कैंसर को गैस्ट्रिक कैंसर के रूप में भी जाना जाता है। यह कैंसर तब होता है जब पेट की परत के अंदर कैंसर की कोशिकाएं बढ़ने लगती है। इस कैंसर की समय पर पहचान करना मुश्किल होता है क्योंकि अधिकांश लोगों को शुरुआती अवस्था में इसके लक्षण दिखाई नहीं दिखते है। इसमें होने वालें पेट में दर्द व एसिडिटी को लोग सामान्य मानकर नज़रअंदाज़ कर देते है। अधिकतर मामलों में पेट के कैंसर के लक्षण गंभीर या फिर आखिरी चरण में दिखाई देते है। यह कैंसर बहुत धीमी गति से बढ़ता है। दरअसल हकीकत यह है कि शुरुआती अवस्था में पेट के कैंसर के लक्षण बहुत कम नजर आते है। जैसे-जैसे यह विकसित होता है इसके लक्षण सामने आने लगते है। देखा जाएं तो भारत में पेट का कैंसर के मामले विकसित देशो से कम है लेकिन पिछले कुछ वर्षो में यह काफी तेज़ी से बढ़ रहें है। भारत में यह पुरुषों में पांचवां और महिलाओं में सातवां सबसे आम कैंसर है। वहीं दुनियाभर में यह कैंसर से संबंधित मौत का दूसरा सबसे आम कारण है। विशेषज्ञ भारत में पेट के कैंसर के बढ़ते मामलों के पीछे मसालेदार भोजन, प्रिजर्व्ड फूड, धूम्रपान और अत्यधिक शराब के सेवन जैसे लाइफस्टाइल कारणों को जिम्मेदार मानते है।

पेट के कैंसर के लक्षण (Symptoms Of Stomach Cancer)

आमतौर पर पेट के कैंसर के शुरुआत में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते है। पेट के कैंसर का सबसे आम लक्षण पेट में दर्द होना है। आमतौर पर इसके लक्षण तब दिखाई देते है जब ट्यूमर का साइज बढ़ने लगता है। अमूमन ऐसा देखा जाता है कि इसमें दिखाई देने वाले लक्षण जैसे पेट में दर्द, एसिडिटी, वज़न घटने को लोग मामूली समझकर नज़रअंदाज़ कर देते है। पेट के कैंसर के सबसे आम लक्षण इस प्रकार है।

  • भूख न लगना
  • एसिडिटी होना
  • भोजन निगलने में परेशानी होना
  • बिना कुछ किए ही थकान व कमजोरी होना
  • मितली और उल्टी होना
  • बिना किसी कारण के वजन घटना
  • सीने में जलन और अपच होना
  • मल का काला आना
  • खून की उल्टी आना
  • पेट फूला हुआ महसूस होना
  • पेट में दर्द होना 
  • कम खाने के बाद भी पेट भरा हुआ महसूस होना

पेट के कैंसर के कारण (Causes Of Stomach Cancer)

पेट का कैंसर तब होता है जब पेट की कोशिकाओं के डीएनए में आनुवंशिक परिवर्तन होने लगता है। डीएनए उस कोड को कहते है जो कोशिकाओं को बताता है कि कब बढ़ना है और कब मरना है। म्यूटेशन के कारण कोशिकाएं तेजी से बढ़ती है और अंतत मरने के बजाय एक ट्यूमर बन जाती है। इसमें कैंसर कोशिकाएं स्वस्थ कोशिकाओं से तेज़ी से आगे निकलने लगती है और शरीर के अन्य भागों में फैलने लगती है। दरअसल अभी तक भी इस कैंसर के स्पष्ट कारणों का पता नहीं चल सका है कि इसमें होने वालें म्यूटेशन का क्या कारण है। फिर भी कुछ कारक पेट के कैंसर के विकास की संभावना को बढ़ाने के लिए ज़िम्मेदार होते है। इसके सबसे प्रमुख कारण इस प्रकार है। 

  • पेट के कैंसर का आनुवंशिक होना
  • हेलिकोबैक्टर पाइलोरी संक्रमण का होना
  • गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स रोग यानी जीईआरडी का होना
  • एपस्टीन-बार वायरस संक्रमण
  • पेट के अल्सर या पेट के पॉलीप्स का इतिहास होना
  • वसायुक्त, नमकीन, स्मोक्ड या मसालेदार खाद्य पदार्थों का अधिक इस्तेमाल करना
  • फल और सब्ज़ियों का सिमित मात्रा में प्रयोग करना
  • कोयला, धातु और रबर जैसे पदार्थों के संपर्क में आना
  • धूम्रपान या तंबाकू का सेवन अधिक करना
  • शराब का अधिक सेवन करना
  • वज़न का अधिक बढ़ना
  • ऑटोइम्यून एट्रोफिक गैस्ट्रिटिस

 पेट के कैंसर होने के लिए कई आनुवंशिक कारण भी ज़िम्मेदार होते है। इनमें सबसे प्रमुख इस प्रकार है।  

  • लिंच सिंड्रोम
  • प्यूट्ज जेहेर्स सिंड्रोम
  • ली-फ्रामेनी सिंड्रोम
  • पारिवारिक एडिनोमेटस पॉलिपोसिस
  • आनुवंशिक गैस्ट्रिक कैंसर
  • कॉमन वेरिएबल इम्युनोडेफिशिएंसी
     

पेट के कैंसर के चरण (Stages Of Stomach Cancer)

पेट के कैंसर के चरण दरअसल एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे कैंसर की सीमा निर्धारित होती है। इससे यह पता चलता है कि कैंसर शरीर के अन्य भागों में फैल गया है या नहीं। इसी के आधार पर इलाज की प्रक्रिया निर्धारित की जाती है। जब इस कैंसर का निदान हो जाता है तो छाती और पेट का सीटी स्कैन या पीईटी-सीटी का मूल्यांकन किया जाता है। डायग्नोस्टिक लेप्रोस्कोपी भी पेट के कैंसर के स्टेजिंग की प्रक्रिया में किया जाता है। यह विशेष रूप से उन रोगियों में किया जाता है जिन्हें सर्जरी से पहले कीमोथेरेपी दी जाती है। आमतौर पर पेट के कैंसर के स्टेज का वर्णन करने के लिए टीएनएम प्रणाली का उपयोग किया जाता है। 

टी: पेट की दीवार की विभिन्न परतों में पेट का ट्यूमर कितना गहरा है।

एन: क्या ट्यूमर पास के लिम्फ नोड्स में फैल गया है या नहीं?

एम: क्या कैंसर शरीर के अन्य भागों जैसे लीवर या हड्डी में तो नहीं फैला है?

इन तीन मापदंडों का एक संयोजन पेट के कैंसर के चरण को तय करने में मदद करता है ।
 
स्टेज 0: इस चरण में कैंसर में केवल पेट की अंदरूनी परत शामिल होती है और यह पेट या शरीर के अन्य हिस्सों की परतों में नहीं फैलता है।

स्टेज I: इस चरण में कैंसर पेट की भीतरी परत से बाहर फैल गया होता है लेकिन यह अभी तक पास के लिम्फ नोड्स या अन्य अंगों तक नहीं फैला होता है।

स्टेज II: इस चरण में कैंसर पास के लिम्फ नोड्स या पेट के पास के अन्य अंगों में फैल गया होता है।

स्टेज III: इस चरण में कैंसर पास के अंगों या लिम्फ नोड्स में पेट से और दूर तक फैल गया होता है।

स्टेज IV: इस चरण में कैंसर लीवर या फेफड़ों जैसे दूर के अंगों तक फैल चुका होता है।

पेट के कैंसर का इलाज (Treatment Of Stomach Cancer)

पेट के कैंसर का इलाज विभिन्न तौर-तरीकों से किया जा सकता है। आमतौर पर इसका इलाज रोग की गंभीरता और रोगी की स्थिति के पर निर्भर करता है। इसके इलाज में सर्जरी और नॉन-सर्जिकल तरीकों को अपनाया जाता है। सर्जरी में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी, रोबोटिक सर्जरी को काफी बेहतर माना जाता है। आमतौर पर इसके इलाज के लिए निम्नलिखित तौर-तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है। 

सर्जरी: अगर ट्यूमर दूसरे अंगों तक नहीं फैला है तो सर्जरी करके उसको हटा दिया जाता है।    

कीमोथेरपी: डॉक्टर ज़रूरत के अनुसार सर्जरी से पहले या बाद में कीमोथेरपी का प्रयोग करते है। 

रेडिएशन थेरेपी : मरीज़ की स्तिथि के अनुसार रेडिएशन थेरेपी का प्रयोग किया जाता है। इससे कैंसर से प्रभावित उत्तकों को मारने की कोशिश की जाती है।  

इम्यूनोथेरेपी : इससे कैंसर के प्रति प्रतिक्रिया करने से प्रतिरक्षा प्रणाली की क्षमता को उत्तेजित या बेहतर किया जाता है। 

दरअसल इलाज में क्या क्या तरीके अपनाने है यह पूरी तरह रोग व रोगी की स्थिति पर निर्भर करता है। इसमें रोगी की आयु और उसका पहले से स्वास्थ्य कैसा है यह काफी हद तक मायने रखता है। पेट में कैंसर के इलाज का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसकी कोशिकाओं का इलाज करने के अलावा कैंसर कोशिकाओं को फैलने से रोकना है। अमूमन ऐसा देखा गया है कि अगर इसके निदान के बाद इसका इलाज नहीं किया जाता है तो यह बहुत तेज़ी से फैलता है। इसका इलाज न होने की स्तिथि में यह फेफड़ो, हड्डियों, जिगर में फ़ैल सकता है। 
 

पेट के कैंसर से बचाव के तरीके (How To Prevent Stomach Cancer)

वास्तविकता यह है कि पेट के कैंसर से बचाव करना आसान नहीं है। लेकिन कई ऐसे तरीके है जिनका प्रयोग करके आप इसके जोखिम को कम कर सकते है। पेट के कैंसर से बचाव के लिए निम्नलिखित तौर-तरीकों को अपना सकते है।  

  • वजन को संतुलित बनाए रखें
  • संतुलित आहार का सेवन करें
  • शराब का सेवन न करें
  • धूम्रपान के सेवन से बचें
  • व्यायाम नियमित रूप से करें

नियमित रूप से अपनी जांच कराते रहें। जांच का एक फायदा यह होता है कि कुछ डॉक्टर आपको ऐसी दवाएं दे सकते है जो पेट के कैंसर के जोखिम को कम करने में सहायक होती है। इस स्तिथि में आमतौर पर डॉक्टर उन्हीं लोगों को दवा देते है जो पहले से कैंसर के पीड़ित रहें हो या जिन्हें कैंसर होने की संभावना अधिक हो। इसके अलावा अगर कोई ऐसी बीमारी है जिससे कैंसर होने की संभावना हो तो डॉक्टर उससे बचाव की दवा दे सकते है। डॉक्टर अर्ली स्क्रीनिंग टेस्ट कराने पर भी विचार कर सकते है। यह टेस्ट पेट के कैंसर की पहचान करने में मददगार हो सकता है। पेट कैंसर स्क्रीनिंग करने के लिए डॉक्टर मरीज़ का शारीरिक परीक्षण करा सकते है। रक्त और मूत्र परीक्षण करा सकते है।  इमेजिंग प्रक्रियाएं जैसे एक्स-रे आदि करा सकते है। इसके अलावा एंडोस्कोपी व आनुवंशिक परीक्षण भी करा सकते है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (Frequently Asked Questions)

पेट के कैंसर के शुरुआती लक्षण क्या है?

पेट के कैंसर के शुरुआती लक्षण आसानी से सामने नहीं आते है। आमतौर पर इसमें पेट में ब्लोटिंग, सीने में जलन-दर्द, कम खाने के बाद भी पेट भरा लगना, पेट में इंफेक्शन व दर्द, मल से खून निकलना, डायरिया आदि लक्षणों का अनुभव पीड़ित व्यक्ति करता है।

पेट में कैंसर है या नहीं कैसे पता करें?

पेट के कैंसर का पता लगाने के लिए इसके लक्षणों को नजरअंदाज न करें। प्रारंभिक अवस्था में इसके लक्षण आसानी से सामने नहीं आते है इसलिए जरूरी है कि नियमित रूप से इसकी जांच कराते रहें।

पेट का कैंसर ठीक हो सकता है या नहीं ?

पेट के कैंसर का निदान अगर प्रारंभिक अवस्था में हो जाता है तो इसका इलाज 90 प्रतिशत तक आसानी से किया जा सकता है। आखिरी चरण में इसका इलाज करना जटिल होता है।

क्या पेट का कैंसर अल्ट्रासाउंड में दिखता है?

आमतौर पर अल्ट्रासाउंड में पेट के कैंसर का निदान हो जाता है। कई बार सी टी स्कैन, एमआरआई और बाईओसी जैसे परीक्षण कराने की जरूरत हो सकती है। 
 

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