पेट के कैंसर के चरण दरअसल एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे कैंसर की सीमा निर्धारित होती है। इससे यह पता चलता है कि कैंसर शरीर के अन्य भागों में फैल गया है या नहीं। इसी के आधार पर इलाज की प्रक्रिया निर्धारित की जाती है। जब इस कैंसर का निदान हो जाता है तो छाती और पेट का सीटी स्कैन या पीईटी-सीटी का मूल्यांकन किया जाता है। डायग्नोस्टिक लेप्रोस्कोपी भी पेट के कैंसर के स्टेजिंग की प्रक्रिया में किया जाता है। यह विशेष रूप से उन रोगियों में किया जाता है जिन्हें सर्जरी से पहले कीमोथेरेपी दी जाती है। आमतौर पर पेट के कैंसर के स्टेज का वर्णन करने के लिए टीएनएम प्रणाली का उपयोग किया जाता है।
टी: पेट की दीवार की विभिन्न परतों में पेट का ट्यूमर कितना गहरा है।
एन: क्या ट्यूमर पास के लिम्फ नोड्स में फैल गया है या नहीं?
एम: क्या कैंसर शरीर के अन्य भागों जैसे लीवर या हड्डी में तो नहीं फैला है?
इन तीन मापदंडों का एक संयोजन पेट के कैंसर के चरण को तय करने में मदद करता है ।
स्टेज 0: इस चरण में कैंसर में केवल पेट की अंदरूनी परत शामिल होती है और यह पेट या शरीर के अन्य हिस्सों की परतों में नहीं फैलता है।
स्टेज I: इस चरण में कैंसर पेट की भीतरी परत से बाहर फैल गया होता है लेकिन यह अभी तक पास के लिम्फ नोड्स या अन्य अंगों तक नहीं फैला होता है।
स्टेज II: इस चरण में कैंसर पास के लिम्फ नोड्स या पेट के पास के अन्य अंगों में फैल गया होता है।
स्टेज III: इस चरण में कैंसर पास के अंगों या लिम्फ नोड्स में पेट से और दूर तक फैल गया होता है।
स्टेज IV: इस चरण में कैंसर लीवर या फेफड़ों जैसे दूर के अंगों तक फैल चुका होता है।
पेट के कैंसर का इलाज (Treatment Of Stomach Cancer)
पेट के कैंसर का इलाज विभिन्न तौर-तरीकों से किया जा सकता है। आमतौर पर इसका इलाज रोग की गंभीरता और रोगी की स्थिति के पर निर्भर करता है। इसके इलाज में सर्जरी और नॉन-सर्जिकल तरीकों को अपनाया जाता है। सर्जरी में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी, रोबोटिक सर्जरी को काफी बेहतर माना जाता है। आमतौर पर इसके इलाज के लिए निम्नलिखित तौर-तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है।
सर्जरी: अगर ट्यूमर दूसरे अंगों तक नहीं फैला है तो सर्जरी करके उसको हटा दिया जाता है।
कीमोथेरपी: डॉक्टर ज़रूरत के अनुसार सर्जरी से पहले या बाद में कीमोथेरपी का प्रयोग करते है।
रेडिएशन थेरेपी : मरीज़ की स्तिथि के अनुसार रेडिएशन थेरेपी का प्रयोग किया जाता है। इससे कैंसर से प्रभावित उत्तकों को मारने की कोशिश की जाती है।
इम्यूनोथेरेपी : इससे कैंसर के प्रति प्रतिक्रिया करने से प्रतिरक्षा प्रणाली की क्षमता को उत्तेजित या बेहतर किया जाता है।
दरअसल इलाज में क्या क्या तरीके अपनाने है यह पूरी तरह रोग व रोगी की स्थिति पर निर्भर करता है। इसमें रोगी की आयु और उसका पहले से स्वास्थ्य कैसा है यह काफी हद तक मायने रखता है। पेट में कैंसर के इलाज का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसकी कोशिकाओं का इलाज करने के अलावा कैंसर कोशिकाओं को फैलने से रोकना है। अमूमन ऐसा देखा गया है कि अगर इसके निदान के बाद इसका इलाज नहीं किया जाता है तो यह बहुत तेज़ी से फैलता है। इसका इलाज न होने की स्तिथि में यह फेफड़ो, हड्डियों, जिगर में फ़ैल सकता है।