आप ने अक्सर महसूस किया होगा कि कई बार अचानक से कुछ भी खाने का दिल नहीं करता। लंबे समय तक कुछ भी न खाने के बावजूद भी भूख का अनुभव नहीं होता है। ऐसे समय में मनपसंद खाना भी अच्छा नहीं लगता है। इसके अलावा ऐसा भी होता है कि जितना खाना आप पहले खाते थे चाह कर भी अब उतना नहीं खा पाते है। दरअसल यह कई गंभीर बीमारियों के संकेत हो सकते है। जब आपके खाने की इच्छा कम होने लगती है या खाने की इच्छा बिल्कुल भी नहीं होती है तो इसे भूख कम लगना कहा जाता है। इस स्थिति में भोजन की इच्छा या भूख उतनी नहीं लगती जितनी पहले लगती थी। भूख न लगने के अनेक कारण हो सकते है। कब्ज, संक्रमण, आहार से संबंधित विकार, खानपान की गलत आदत, कैंसर आदि के कारण अमूमन ऐसा होता है। इस स्तिथि में पीड़ित व्यक्ति को भोजन की इच्छा नहीं होती है। उसका वज़न कम होने लगता है और उसका स्वस्थ्य ख़राब होने लगता है। कई बार ऐसा होता है कि भोजन करने के विचार मात्र से ही जी मिचलाने लगता व उल्टी का अनुभव होने लगता है।
जब किसी व्यक्ति को लंबे समय तक भूख नहीं लगती या कम लगती है तो उस स्थिति को एनोरेक्सिया के रूप में जाना जाता है। इसके अनेक कारण हो सकते है। कई मामलों में एनोरेक्सिया की स्थिति काफी गंभीर भी हो सकती है। इससे छुटकारा पाने के लिए आमतौर पर भोजन करने से पहले ताजी हवा में एक्सरसाइज करने की सलाह दी जाती है। भूख न लगने के सटीक कारण जानने के लिए डॉक्टर कई प्रकार के तौर-तरीक़े अपनाने की सलाह देते है। रक्त परीक्षण, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड आदि उपायों को अपनाया जा सकता है। खाने की इच्छा को बढ़ाने के लिए मनपसंद भोजन करना फायदेमंद हो सकता है।
अलग-अलग व्यक्तियों में भूख कम लगने या न लगने के अलग-अलग लक्षण हो सकते है। भूख कम लगने की वजह से पीड़ित व्यक्ति का वजन घटता चला जाता है और उसे कई प्रकार की बीमारियां होने की संभावनाएं होने लगती है। जैसे कुपोषण, मांसपेशियों से सम्बंधित बीमारियां आदि होने का खतरा अधिक रहता है। विभिन्न प्रकार की बीमारियों के कारण भूख कम लगने की स्थिति अस्थाई होती है। आमतौर पर जब इलाज पूरा हो जाता है तो भूख पहले की तरह सामान्य हो जाती है। भूख की कमी के सबसे प्रमुख लक्षण इस प्रकार है।
- हमेशा पेट का भरा हुआ महसूस होना।
- भोजन का स्वाद अच्छा न लगना।
- भोजन की गंध लेने के बाद भोजन करने का दिल नहीं करना।
- मनपसंद भोजन का भी अच्छा न लगना।
- भोजन करते हुए चबाने के साथ-साथ उसे निगलने में कठिनाई होना।
- भोजन को देखते ही मन भर जाना।
- थोड़ा सा भोजन करके उसे अधूरा छोड़ देना।
- कम भोजन कर पाना।
- सामान्य से जल्दी पेट भर जाना।
दरअसल भूख में अचानक से या धीरे-धीरे कमी आना कई समस्याओं का संकेत हो सकता है। भूख न लगने के अनेक कारण हो सकते है। इसके सबसे प्रमुख कारण इस प्रकार है
- कई प्रकार के संक्रमण होने पर अचानक से भूख में कमी आ जाती है। जैसे निमोनिया जो श्वसन तंत्र का संक्रमण है फेफड़ों के प्रभावित करता है। हेपेटाइटिस जैसे संक्रमण की वजह से लीवर में सूजन व जलन होने लगती है जिससे भूख नहीं लगती है। एचआईवी या एड्स होने पर भी भूख कम लगती है। इन्फ्लूएंजा से भी भूख कम लगती है। पाइलोनेफ्रिटिस जो कि किडनी का संक्रमण है के होने पर भी भूख का अनुभव नहीं होता है।
कई प्रकार की बीमारियां ऐसी है जिनके होने पर पीड़ित व्यक्ति को भूख नहीं लगती है। या उनकी भूख काफी कम हो जाती है। विभिन्न प्रकार के पाचन संबंधी रोग, कैंसर, इरीटेबल बाउल सिंड्रोम, क्रोन रोग, सीलिएक रोग, कोलाइटिस, पाचन तंत्र में सूजन व लालिमा, आंतों में कमी और अन्य कई बीमारियां होने पर भूख प्रभावित होती है। इसके अलावा कुछ मानसिक बीमारी जैसे तनाव, चिंता , स्किजोफ्रेनिया आदि होने पर भूख कम लगती है।
कई प्रकार की दवाएं ऐसी होती है जिनके सेवन से व्यक्ति की भूख पर प्रभाव पड़ता है। इनमें अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर के लिए और वजन घटाने की दवाएं, कैंसर की दवाएं आदि ऐसी ही दवाएं है। इसके अलावा विभिन्न प्रकार के ड्रग जैसे एम्फेटामाइन, हल्लुसीनोजेनिक्स, इनहेलेंट्स आदि से भी भूख कम लगती है।
तनाव व चिंता अधिक होने की वजह से भी भूख कम लगती है। दरअसल इस स्तिथि में अधिकतर लोगों को बहुत कम भूख लगती है। तनाव की वजह से कई बार ऐसा भी होता है कि पीड़ित व्यक्ति भोजन करना ही भूल जाते है।
इसके अलावा लीवर रोग, किडनी रोग, हृदय रोग, हेपेटाइटिस, एचाइवी, हाइपोथायरायडिज्म, गर्भावस्था, क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, सांस लेने में दिक्कत, डिमेंशिया, मेटाबॉलिज्म में बदलाव, दर्द या दर्द की दवाएं, लाल रक्त कोशिकाओं में कमी या एनीमिया, पेट में द्रव होने की वजह से पेट भरा हुआ महसूस होना, एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन, कीमोथेरेपी, कोडाइन और मॉर्फिन आदि होने पर भी भूख में कमी का अनुभव हो सकता है।
आमतौर पर जब आपको भूख न लगने की समस्या होती है तो इसका निदान करने के लिए डॉक्टर विभिन्न प्रकार के तौर-तरीके अपनाते है। डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री का मूल्यांकन करते है। इसके साथ-साथ डॉक्टर आपसे यह जानने की कोशिश करेंगे कि भूख कितने समय से नहीं लग रही है। सबसे पहले आपको लक्षण कब महसूस हुए थे। लक्षण किस तरह के है गंभीर है या कम। वजन कितना कम हो चुका है। भूख न लगने के सटीक कारण का पता लगाने के लिए कुछ विशेष प्रकार के टेस्ट करने की आवश्यकता भी होती है। आवश्यकता के अनुसार आमतौर पर डॉक्टर निम्नलिखित परीक्षण करा सकते है।
- लीवर, थायराइड व किडनी का टेस्ट
- छाती का एक्स-रे
- पेट का अल्ट्रासाउंड
- कम्पलीट ब्लड काउंट (सीबीसी)
- पेट और छोटी आंत की जांच
- सीटी स्कैन
- पेशाब की जांच
- कई मामलों में एंडोस्कोपी की जांच की भी जरूरत हो सकती है।
दरअसल भूख कम लगने का इलाज उसके कारणों पर निर्भर करता है। भूख न लगने के कई कारण ऐसे भी होते है जो स्वय ही कुछ समय बाद ख़त्म हो जाते है। अगर भूख न लगने का कारण बैक्टीरियल संक्रमण या वायरल संक्रमण है तो किसी विशेष इलाज की आवश्यकता नहीं होती है। संक्रमण के इलाज के साथ-साथ में भूख लगने की प्रक्रिया भी सामान्य हो जाती है। यदि भूख में कमी कैंसर जैसे किसी रोग या किसी मेडिकल स्थिति के कारण हो रही है तो इससे आपकी भूख को उत्तेजित करना कठिन हो सकता है। वास्तविकता यह है कि भूख में कमी की गंभीरता व उसके कारण पैदा होने वाली जटिलताओं को सामान्य स्तर पर लाने के लिए कई प्रकार की दवाओं का प्रयोग किया जा सकता है। आमतौर पर जिन दवाओं व नुस्खों का प्रयोग किया जाता है वे इस प्रकार है।
- इस स्थिति में मतली व उल्टी रोकने के लिए डॉक्सीलेमाइन और बी 6, पाइरिडोक्सिन, प्रोमेथाज़ीन, साइक्लिजिन का प्रयोग किया जाता है। इससे पेट में ऐंठन व थकान से राहत मिलती है।
- प्रोजेस्टेरोन वाली दवाओं का प्रयोग भूख और वजन बढ़ाने के लिए किया जाता है। इनमें मेजेस्ट्रोल एसेटेट, मेड्रोक्सिप्रोजेस्टेरोन जैसी दवाओं का प्रयोग किया जाता है।
- स्टेरॉयड दवाओं का प्रयोग करने की सलाह भी डॉक्टर दे सकते है। इससे सूजन, मतली, कमजोरी दर्द आदि को भी प्रबंधित किया जा सकता है।
-मेटोक्लोप्रामाइड जैसी दवाएं भोजन को पेट से बाहर निकलने में सहायक होती है।
- एंटीडिप्रेसेंट या चिंता-निवारक दवाओं की अनुशंसा भी डॉक्टर करते है।
- डॉक्टर आमतौर पर एक्सरसाइज की सलाह ज़रूर देते है। एक्सरसाइज करने से भूख हार्मोन उत्तेजित होते है और खाने की इच्छा अधिक होने लगती है।
- वजन घटने और पोषक तत्वों की कमी का इलाज करने के लिए कैलोरी और अन्य पोषक तत्वों को सीधे शरीर तक पहुंचाने के लिए फीडिंग ट्यूब का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
- भोजन को थोड़ा-थोड़ा करके बार-बार खाने से भी फायदा हो सकता है। आपको भोजन पोषक तत्वों से भरपूर होना चाहिए। भोजन में कैलोरी और प्रोटीन उच्च होनी चाहिए।
भूख ना लगना कौन सी बीमारी का लक्षण है?
जब किसी व्यक्ति को लंबे समय तक भूख नहीं लगती या कम लगती है तो उस स्थिति को एनोरेक्सिया के रूप में जाना जाता है। यह कई स्थितियों और बीमारियों के कारण हो सकता है।
भूख ना लगने का सबसे बड़ा कारण क्या है?
भूख में अचानक से या धीरे-धीरे कमी आना कई समस्याओं का संकेत हो सकता है। आमतौर पर यह विभिन्न प्रकार के संक्रमण, बीमारी, चिंता व तनाव, दवाओं के प्रभाव आदि से हो सकती है।
भूख लगना बंद हो जाए तो क्या करें?
भूख को सामान्य स्तर पर लाने के लिए उसका उचित प्रकार से इलाज कराना चाहिए। इलाज के साथ-साथ में आपको अपना मनपसंद खाना अधिक से अधिक लेना चाहिए व व्यायाम और योग जरूर करना चाहिए।
भूख बढ़ाने की सबसे अच्छी दवा कौन सी है?
भूख बढ़ाने के लिए कई प्रकार की दवाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है। आपको अपने मनपसंद आहार के साथ-साथ उचित व्यायाम करना चाहिए। डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाओं का प्रयोग करना ही बेहतर रहता है।
Subscribe to our Newsletter and make your informed health decisions. Get essential health insights and updates delivered straight to your inbox. Join now for a healthier you.