विश्व भर में मधुमेह यानी डायबिटीज़ तेज़ी से फैलती बीमारियों में से एक है। इसको रक्त शर्करा और ब्लड शुगर के रूप में भी जाना जाता है। हमारे देश में तो मधुमेह और भी तेज़ी से फैल रही है। कई विशेषज्ञ तो भारत को 'डायबिटीज़ की वर्ल्ड कैपिटल' भी कहने लगे है। वास्तव में यह बीमारी खतरनाक गति से फैल रही है। एक आंकड़े के मुताबिक भारत में हर 11 में से 1 व्यक्ति तकरीबन 90 मिलियन लोग मधुमेह के शिकार हो चुके है। चिंता की बात तो यह है कि यह संख्या 2030 तक 113 मिलियन और 2045 तक 151 मिलियन तक पहुंच सकती है।
दरअसल मधुमेह एक ऐसी बीमारी है जिसमें किसी व्यक्ति के ब्लड शुगर का स्तर असामान्य रूप से बढ़ जाता है। इस बीमारी को साइलेंट किलर माना जाता है क्योकि यह शरीर के दूसरे अंगों को धीरे-धीरे प्रभावित करती है। जिसके परिणाम काफी खतरनाक होते है। देखा जाएं तो इस बीमारी का इलाज बहुत मुश्किल नहीं है अगर थोड़ी से सावधानी व जीवनशैली में बदलाव किया जाए तो इसके दुष्परिणामों से बचा जा सकता है। यह दो प्रकार की होती है टाइप 1 और टाइप 2 । इस बीमारी में शरीर इंसुलिन नहीं बनाता है या फिर उसका उत्पादन तो करता है लेकिन इसे प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर पाता है। जीवनशैली में परिवर्तन करके काफी हद तक इसे प्रबंधित किया जा सकता है।
आमतौर पर मधुमेह दो प्रकार का होता है पहला टाइप 1 और दूसरा टाइप 2 । इसके अलावा भी इसके कुछ अन्य प्रकार हो सकते है जैसे गर्भकालीन मधुमेह, बॉर्डरलाइन मधुमेह आदि।
टाइप 1 मधुमेह : इस प्रकार के मधुमेह में शरीर इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है। इसमें प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर के खिलाफ हो जाती है और पैंक्रियाज में कोशिकाओं को नष्ट कर देती है। यही वो अंग होते है जो इंसुलिन नामक हार्मोन के उत्पादन के लिए जिम्मेदार है। आमतौर पर यह बच्चों और युवाओं को अधिक प्रभावित करती है।
टाइप 2 मधुमेह : यह मधुमेह का सबसे आम प्रकार है। जहा टाइप 1 में शरीर इंसुलिन नहीं बनाता है वही टाइप 2 में शरीर इंसुलिन का उत्पादन तो करता है लेकिन इसे प्रभावी ढंग से उपयोग करने में असमर्थ होता है। यह बुज़ुर्ग व्यक्तियों को अधिक प्रभावित करती है।
गर्भकालीन मधुमेह : इस तरह का मधुमेह गर्भवती महिलाओं में पाया जाता है। देखा जाएं तो यह एक चिकित्सा स्थिति है। इसमें शरीर में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है और प्रसव के बाद वापस सामान्य स्थिति में आ जाता है।
बॉर्डरलाइन मधुमेह : इसे प्री-डायबिटीज भी कहते है। दरअसल यह एक मेडिकल स्थिति होती है। इस स्थिति में ब्लड शुगर का स्तर सामान्य सीमा से अधिक होता है लेकिन यह मधुमेह में वर्गीकृत नहीं किया जाता है क्योंकि यह स्वयं ही सामान्य स्थिति में आ जाती है।
मधुमेह एक गंभीर स्वास्थ्य स्थिति होती है जो ब्लड और यूरीन में ग्लूकोज के उच्च स्तर से जुड़ी होती है। आमतौर पर इसके सबसे प्रमुख लक्षण इस प्रकार है।
- लगातार पेशाब आना
-अधिक प्यास लगना
- तेज़ भूख लगना
- डिहाइड्रेशन होना
- वजन कम होना
- थकान व कमज़ोरी होना
- अचानक से चक्कर आना
- चोट या घाव जल्दी से सही न होना
- संक्रमण या त्वचा की समस्या होना
- मतली और उल्टी होना
- दृष्टि कमज़ोर होना
- हार्ट, किडनी, आंख, तंत्रिका तंत्र आदि से संबंधित जटिलताओं का होना है।
मधुमेह के अनेक कारण हो सकते है। विशेषज्ञों की मानें तो यह लाइफस्टाइल से संबंधित बीमारी है। टाइप 1 मधुमेह में इम्यून सेल्स हमारे पैनक्रियाज़ यानी अग्नाशय में बीटा सेल्स को नुकसान पहुंचाती है। बीटा सेल्स इंसुलिन हार्मोन का निर्माण करती है। इसका सीधा मतलब है कि इन सेल्स को नुकसान पहुंचने पर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बन पाता। जब हमारे शरीर में इंसुलिन का उत्पादन कम मात्रा में होता है तो शरीर रक्त में मौजूद ग्लूकोज से शक्ति प्राप्त नहीं कर पाता। जिससे रक्त और यूरीन में ग्लूकोज का स्तर बढ़ने लगता है कई बार तो यह काफी अधिक बढ़ जाता है। टाइप 1 मधुमेह के स्पष्ट कारणों का पता अभी तक नहीं चल सका है। रिसर्च के अनुसार जिन लोगों के शरीर में ऑटोएंटीबॉडीज़ होती है उन लोगों में टाइप 1 मधुमेह होने का खतरा अधिक होता है। कई रिसर्च में यह भी संकेत दिए गए है कि अनुवांशिकता और पर्यावरण सम्बन्धी कारक टाइप 1 मधुमेह होने की संभावना बढ़ा देते है। आमतौर पर देखा गया है कि ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता दोनों को मधुमेह हो या फिर ठंडे प्रदेशों में रहने वाले लोग विशेषकर बच्चों को होने की इसकी संभावना अधिक होती है।
एक तरफ जहा टाइप 1 मधुमेह में शरीर इंसुलिन नहीं बनाता है वही टाइप 2 मधुमेह में शरीर इंसुलिन का उत्पादन तो करता है लेकिन इसे प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर पाता है। टाइप -2 में इंसुलिन प्रतिरोध द्वारा विशेषतः एक चयापचय विकार है जहां शरीर इसे प्रभावी ढंग से उपयोग करने में असमर्थ हो जाता है। यह स्थिति कई कारणों से हो सकती है। इसके सबसे प्रमुख कारण इस प्रकार है।
- मधुमेह का आनुवंशिक होना
- बढ़ती उम्र
- शारीरिक गतिविधियों का न करना
- वज़न अधिक होना
- उच्च रक्त चाप
- उच्च कोलेस्ट्रॉल या ट्राइग्लिसराइड्स
- पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम
- तनाव, चिंता व अवसाद अधिक रहना
- गर्भावस्था में अस्थाई मधुमेह होना
- लाइफस्टाइल का सही न रहना जैसे धूम्रपान व शराब का अधिक सेवन करना आदि।
मधुमेह के साइड इफ़ेक्ट काफी गंभीर हो सकते है। इसके सबसे आम साइड इफ़ेक्ट इस प्रकार है।
- मधुमेह के सामान्य न रहने से हार्ट यानि हृदय संबंधी समस्याएं जैसे कोरोनरी धमनी की बीमारी, धमनियों का संकुचित होना, दिल का दौरा और स्ट्रोक आदि हो सकते है।
- मधुमेह के सामान्य न रहने से उच्च शर्करा कोशिकाओं की दीवारों को नुकसान पहुंच सकता है जो तंत्रिका के सुन्नता, जलन या दर्द का कारण बन सकता है।
- मधुमेह के कारण रेटिना की रक्त वाहिकाओं पर भी असर पड़ता है जिससे धुंधली दृष्टि या अंधापन हो सकता है।
- रक्त में ग्लूकोज लेवल अधिक होने पर बैक्टीरियल और फंगल संक्रमण हो सकता है।
- मधुमेह किडनी को प्रभावित कर सकती है। इसकी वजह से कई बार डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ सकती है।
- मधुमेह से अल्जाइमर रोग जैसे मस्तिष्क विकारों के जोखिम भी अधिक रहता है।
देखा जाएं तो मधुमेह का प्रबंधन करना एक मुश्किल चुनौती है। इससे पीड़ित लोगों को बदलते पैटर्न और मौसम के परिणामों को लेकर सतर्क रहना चाहिए। मरीज़ को अपने ग्लूकोज स्तर की निगरानी समय-समय पर करती रहनी चाहिए। इस बीमारी में ब्लड शुगर के स्तर की निगरानी करना महत्वपूर्ण है विशेष रूप से जीवनशैली में आया कोई भी बदलाव जो आपके शरीर में परिवर्तन की वजह बन सकता है। गर्मी का मौसम हो तो व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करने के लिए सक्रिय रूप से उपाय करना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। मधुमेह मुख्य रूप से एक जीवनशैली से जुड़ी समस्या है। हालांकि इसके इलाज में दवाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है लेकिन अपनी जीवनशैली में बदलाव करके मधुमेह के रोगी अपने आप को स्वस्थ रख सकते है।
मधुमेह होने पर और शरीर में ब्लड शुगर के स्तर को जानने के लिए सबसे पहले ब्लड टेस्ट की आवश्यकता होती है। इसका इलाज रोगी की स्थिति के आधार पर निर्भर करता है। मधुमेह की रोकथाम के लिए जीवन शैली में बदलाव और दवा का संयोजन शामिल है। मधुमेह न केवल आपके शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि आपके मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है इसके प्रबंधन के लिए एक समग्र दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है।
- व्यायाम और कम वसा व कम कैलोरी आहार के माध्यम से शरीर के सही वजन को बनाए रखें।
- हाई शुगर या तले हुए खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करें।
- अधिक फाइबर वाले पौष्टिक भोजन सब्जियों, फलों और का सेवन अधिक करना है।
- शारीरिक रूप से सक्रिय रहना है।
- तनाव और चिंता को प्रबंधित करना है।
- धूम्रपान, शराब, कैफीन का सेवन नहीं करना है।
- शुगर के स्तर की नियमित रूप से परीक्षण कराते रहना है।
- मधुमेह के रोगियों के लिए निर्धारित दवाओं की पहली श्रेणी मेटफॉर्मिन है जो ब्लड शुगर के स्तर को कम करने में काफी मदद करती है।
- मधुमेह के गंभीर मामलों में रोगियों को इंसुलिन इंजेक्शन की आवश्यकता हो सकती है। इनहेल्ड-इंसुलिन दवाएं भी उपलब्ध है इनका उपयोग डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही करना चाहिए। मधुमेह रोगियों को इस बात का विशेष ध्यान रखना होता है कि शुगर का स्तर कम न हो जाए वरना वे हाइपोग्लाइसीमिया का शिकार हो सकते है। यह ऐसी स्थिति होती है जिसमें पसीना आना, हाथ कांपना, थकान या बेहोशी जैसे लक्षण होते है। ऐसे मामले में रोगी के पास कुछ तेजी से काम करने वाले शर्करा पदार्थ होने चाहिए जिससे कि इन प्रभावों को नियंत्रित किया जा सके।
अगर आपको टाइप 1 मधुमेह है तो ज़रूरी है कि आप अपने रक्त में ग्लूकोज़ की नियमित रूप से जांच कराये। ताकि यह पता लगाया जा सके कि, आपके शरीर को कितने इंसुलिन की आवश्यकता है। आपको अपने आहार पर ध्यान देना होगा। उसके आधार पर ही आपका ब्लड शुगर लेवल घटता और बढ़ता है। संतुलित मात्रा में कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन और फैट्स का सेवन करें। रोजाना 25-30 ग्राम फाइबर का सेवन काफी लाभदायक हो सकता है। अनहेल्दी कार्ब्स व फैट्स के सेवन से बचें। अपने आहार में बीन्स, हरी पत्तेदार सब्जियां, खट्टे फल, शकरकंद, बेरीज़, टमाटर, साबुत अनाज, नट्स, आदि को जरूर शामिल करें।
व्यायाम और तनाव की कमी भी मधुमेह को नियंत्रित करने में सहायक होती है। मधुमेह का प्रबंधन करने के लिए व्यायाम करना काफी महत्वपूर्ण होता है। व्यायाम से मधुमेह का स्तर कम होता है और आपके शरीर के विभिन्न अंग सुचारू रूप से काम करते है।
मधुमेह के मरीज़ो के लिए कुछ प्राकृतिक घरेलू इलाज भी काफी लाभदायक हो सकता है। इन उपचारों से ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। नीम की कसैली पत्तियां मधुमेह के लिए एक प्रभावी इलाज है क्योंकि इनमें फ्लेवोनोइड्स, ट्राइटरपेनोइड्स, एंटीवायरल पदार्थ और ग्लाइकोसाइड्स होते है जो ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकते है। करेले में पाए जाने वाले चारैटिन और मोमोरडिसिन ब्लड शुगर के स्तर को कम करने की क्षमता रखते है। जामुन अपने हाइपोग्लाइसेमिक गुणों के लिए प्रसिद्ध है, जो ब्लड शुगर के स्तर को कम कर सकती है। अदरक भी ब्लड शुगर के स्तर को कम करता है और इंसुलिन को संतुलित करता है।
इनके अलावा यदि हम कार्बोहाइड्रेट में कटौती करें और अच्छी गुणवत्ता वाले पौधे-आधारित प्रोटीन जैसे हरे चने, काले चने, मशरूम, पनीर, चना दाल, मूंग दाल आदि को अपने खाने में शामिल करें तो इससे ग्लाइसेमिक इंडेक्स और ग्लाइसेमिक लोड को कम करने में मदद मिलेगी। फल और गैर-स्टार्च वाली सब्जियां खाना भी मधुमेह को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।
मधुमेह क्या है?
मधुमेह एक ऐसी बीमारी है जिसमें किसी व्यक्ति के ब्लड शुगर का स्तर असामान्य रूप से बढ़ जाता है। इस बीमारी में शरीर इंसुलिन नहीं बनाता है या फिर उसका उत्पादन तो करता है लेकिन इसे प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर पाता है।
मधुमेह में सही आहार क्या है?
मधुमेह के रोगियों को अधिक फाइबर वाले पौष्टिक भोजन सब्जियों, फलों आदि का सेवन करना चाहिए। हरे चने, काले चने, मशरूम, पनीर, चना दाल, मूंग दाल, नीम की कसैली पत्तियां, करेले, जामुन का सेवन करना फायदेमंद रहता है।
मधुमेह से संबंधित क्या समस्याएं हो सकती है ?
मधुमेह के सामान्य न रहने से हार्ट यानि हृदय संबंधी समस्याएं, किडनी, अल्जाइमर आदि रोग हो सकते है। इससे कोशिकाओं की दीवारों को भी नुकसान पहुंच सकता है जिससे विभिन्न प्रकार की बीमारियां हो सकती है।
मधुमेह से बचाव के लिए क्या करें ?
लाइफस्टाइल में परिवर्तन करके काफी हद तक मधुमेह को प्रबंधित किया जा सकता है। इसके गंभीर रोगियों को उचित प्रकार से इलाज की जरूरत होती है। नियमित रूप से व्यायाम करना व स्वस्थ आहार का सेवन करना काफी फायदेमंद रहता है।
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