हर महिला के लिए गर्भावस्था यानी प्रेगनेंसी का अनुभव खास होता है। मां बनने का अहसास वाकई बहुत खूबसूरत होता है। अगर कोई महिला पहली बार मां बनने जा रही है तो यह अहसास और भी खास हो जाता है। दरअसल यह ऐसा समय होता है जब मां बनने वाली महिला के मन में अनेक सवाल और आशंकाएं होती है। कुछ महिलाओं को अपनी प्रेगनेंसी के शुरूआती कुछ दिनों में ही पता चल जाता है कि वे गर्भवती हो गई है जबकि कुछ ऐसी भी महिलाएं होती है जिन्हें अपने गर्भवती होने का बिल्कुल भी अहसास नहीं हो पाता है। आमतौर पर महिलाओं को अपने गर्भवती होने का तब पता चलता है जब उनका मासिक धर्म मिस होने लगता है। ऐसा देखा जाता है कि अधिकतर महिलाएं प्रेगनेंसी टेस्ट के माध्यम से गर्भवती होने का पता लगा लेती है। लेकिन अगर थोड़ी सी सावधानी बरती जाएं तो बिना प्रेगनेंसी टेस्ट के भी गर्भवती होने का पता लगाया जा सकता है।
गर्भावस्था के कुछ ऐसे लक्षण है जिनसे आसानी से अंदाज़ा लग जाता है कि महिला गर्भवती है या नहीं। मासिक धर्म का मिस होना इसका सबसे आम लक्षण है। इसके अलावा भी गर्भावस्था के अनेक लक्षण हो सकते है। दरअसल अधिकतर मामलों में महिलाएं गर्भावस्था के पहले सप्ताह में प्रेगनेंसी के लक्षण देखने लगती है। लेकिन कुछ महिलाओं को एक महीने में प्रेगनेंसी के लक्षणों का अनुभव होना शुरू होता है। गर्भावस्था के अधिकतर लक्षण पीरियड के समय के आसपास या फिर उसके एक दो हफ्ते पहले या बाद में दिखाई देते है। जुड़वा बच्चों के प्रेगनेंसी लक्षण और सामान्य प्रेगनेंसी में बहुत अधिक अंतर नहीं होता है। जुड़वा प्रेगनेंसी में महिला को थकान और दर्द का अनुभव अधिक होता है। मोटे तौर पर गर्भावस्था के सबसे सामान्य लक्षण इस प्रकार है।
गर्भावस्था का सबसे पहला लक्षण होता है रक्तस्राव का होना। जब फर्टिलाइज्ड एग महिला की बच्चेदानी की लाइनिंग से चिपकने लगता है तो उस प्रक्रिया में कुछ ब्लड सेल्स फट जाते है। जिससे हल्का रक्तस्राव हो सकता है। यह मासिक धर्म के ब्लड से बिल्कुल अलग होता है। मासिक धर्म की ब्लीडिंग में ब्लड फ्लो के साथ निकलता है और पेट या कमर में तेज दर्द होता है। लेकिन इस प्रक्रिया में रक्त हल्का-हल्का आता है और यूट्रस में थोड़ी बहुत ऐंठन महसूस हो सकती है। इसकी एक विशेष बात यह भी है कि यह लक्षण हर महिला में दिखाई नहीं देता है। विशेषज्ञ की माने तो गर्भावस्था का यह लक्षण सबसे पहले होता है। इस पर अगर महिलाएं ध्यान दें तो गर्भावस्था के बिल्कुल शुरुआत में ही गर्भवती होने के पता लगाया जा सकता है।
गर्भावस्था के शुरूआती लक्षणों में से एक है वेजाइनल डिस्चार्ज होना। आमतौर पर यह लक्षण गर्भवती होने के तुरंत बाद दिखाई देने लगता है। इसके होने का कारण यह है कि जब एक महिला गर्भवती होती है तो उसके बाद शरीर में हार्मोनल बदलाव होने लगते है। इसकी वजह से योनि की वॉल मोटी हो जाती है जिसके कारण योनि के सेल्स बहुत तेजी से बढ़ने लगते है। इसकी वजह से थोड़ा बहुत डिस्चार्ज हो सकता है। लेकिन अगर महिला को डिस्चार्ज के साथ योनि में दर्द, जलन या बदबू महसूस हो तो ये लक्षण संक्रमण हो सकते है।
अगर किसी महिला को एक हफ्ते या इससे ज्यादा दिन तक मासिक धर्म नहीं आते है तो इसकी वजह गर्भावस्था हो सकती है। हालांकि मासिक धर्म न आने के अनेक कारण हो सकते है। स्ट्रेस या हॉरमोन्स में उतार-चढ़ाव के कारण भी मासिक धर्म नहीं आते है। लेकिन अधिकतर मामलों मे गर्भवती होने के कारण ही मासिक धर्म नहीं हो पाते है। अगर मासिक धर्म किसी अन्य कारण से नहीं आ रहे है तो इसकी तुरंत जांच करानी चाहिए।
गर्भावस्था का एक शुरुआती लक्षण स्तनों में संवेदनशीलता आना है। इस स्थिति में निप्पल्स का रंग बदलने लगता है और उनमें हल्का दर्द होने लगता है। ये समस्याएं कुछ सप्ताह के अंदर अपने आप धीरे-धीरे कम होने लगती है क्योंकि समय के साथ-साथ महिला के शरीर में हार्मोनल संतुलन हो जाता है। इसके साथ-साथ स्तनों में भारीपन का अनुभव भी होने लगता है। दरअसल गर्भधारण करने के बाद महिला के शरीर में हार्मोनल बदलाव होते है जिसके कारण स्तनों में भारीपन और हल्का दर्द होता है। अमूमन कुछ समय के बाद हार्मोन में संतुलन होने पर ये समस्याएं स्वयं ही दूर हो जाती है।
अगर किसी महिला को मासिक धर्म न होने के साथ-साथ पेशाब सामान्य की अपेक्षा ज्यादा बार जाना पड़ रहा हो तो यह लक्षण भी गर्भावस्था की ओर इशारा करते है। गर्भावस्था के दौरान शरीर का खून बढ़ने से ब्लैडर में ज्यादा मात्रा में फ्लूइड इकट्ठा होता है। जिसकी वजह से थोड़े-थोड़े समय में ही पेशाब आने लगता है।
अगर किसी भी महिला को सुबह उठते ही या दिन में किसी भी वक्त या रात में जी मिचलाना या उल्टी आती है तो यह गर्भावस्था का प्रमुख लक्षण होता है। अमूमन यह लक्षण गर्भावस्था के पहले महीने में दिखाई देता है।
गर्भावस्था के बाद महिला के शरीर में भारी मात्रा में हार्मोनल बदलाव होने लगते है जिसके कारण उसे काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आमतौर पर उसे कमजोरी, थकान के साथ-साथ बुखार भी आता है। गर्भधारण करने के बाद महिला की इम्युनिटी यानी रोग प्रतिरोधक शक्ति घट जाती है जिसकी वजह से बुखार हो जाता है। शरीर का तापमान बढ़ना यानी बुखार आना गर्भावस्था का एक ऐसा लक्षण है जिसकी हरारत अधिकतर महिलाओं को होती है। यह बुखार हल्का होता है इसके तेज होने की संभावना ना के बराबर होती है।
आमतौर पर महिलाओं को गर्भावस्था के शुरुआत में गर्भाशय में हल्का दर्द महसूस होता है। इस दर्द की प्रकृति अलग-अलग महिलाओं में अलग-अलग हो सकती है। वहीं हॉरमोन्स में बदलाव होने की वजह से दस्त या कब्ज की शिकायत भी महिलाओं को हो सकती है।
गर्भावस्था की शुरुआत में महिलाओं के शरीर में बड़ी मात्रा में हार्मोन्स में उचार-चढ़ाव होते रहते है जिसका महिलाओं के मूड पर काफी प्रभाव पड़ता है। इसी वजह से गर्भधारण की शुरुआत में महिला छोटी से छोटी बात पर खुश हो जाती है और दुख का भी अनुभव करने लगती है। इसके साथ-साथ महिला सामान्य से अधिक चिंतित या तनाव का अनुभव करने लगती है।
कंसीव करने के बाद महिलाओं के शरीर में हार्मोनल अंसुतलन होने के कारण उसके स्वाद में भी बदलाव आता है। जिसकी वजह से खान-पान की किसी ख़ास चीज के प्रति उसकी लालसा बढ़ या ख़त्म हो जाती है। हालांकि महिलाओं का शरीर अन्य कारणों से भी खान-पान की चीजों के प्रति लालसा अधिक या कम हो सकती है। अगर महिला स्वाद में बदलाव के साथ-साथ अन्य लक्षणों को भी अनुभव करती है तो उसके गर्भवती होने की संभावना होती है। स्वाद में बदलाव आने के साथ-साथ महिलाओं के सूंघने की अनुभूति में भी बदलाव आ सकता है जिसकी वजह यह है कि स्वाद और गंध एक दूसरे से जुड़े हुए होते है। ऐसा भी होता है कि जो चीजें पहले पसंद होती है उनका टेस्ट बुरा लगने लगता है।
अगर आपको ऐसा लगता है कि आप प्रेग्नेंट है तो उसका जल्द से जल्द पता लगाना बेहतर रहता है। आमतौर पर डॉक्टर गर्भावस्था की पुष्टि करने के लिए ब्लड या यूरिन टेस्ट कराते है। इन टेस्ट के रिजल्ट गर्भावस्था किट के नतीजे से ज्यादा भरोसेमंद होते है। इसके अलावा डॉक्टर अल्ट्रासाउंड का सहारा भी लेते है जिसे सबसे बेहतर माना जाता है। घर पर रहकर भी गर्भावस्था की जांच आसानी से की जा सकती है। मार्केट में कई तरह के प्रेगनेंसी किट मौजूद है। जिससे घर में ही गर्भावस्था की जांच की जा सकती है। प्रेगनेंसी किट में जांच पट्टी पर यूरिन का थोड़ा सा हिस्सा डालना होता है। इसके कुछ समय बाद इसमें हल्की या गहरी गुलाबी लकीरें दिखाई देने लगती है। दरअसल प्रेगनेंसी किट पर ही सभी ज़रूरी निर्देश दिए होते है जिन्हें पढ़कर आप इसका सही प्रयोग कर सकते है।
गर्भ ठहरने के शुरुआती लक्षण क्या है?
गर्भावस्था का सबसे पहला लक्षण होता है हल्का रक्तस्राव का होना। इसके अलावा मासिक धर्म का नहीं आना, कमजोरी होना, योनि स्राव होना अभी इसके प्रमुख लक्षण है।
एक सप्ताह में गर्भवती होने का कैसे पता चलता है?
आमतौर पर प्रेग्नेंट होने के एक सप्ताह में अधिकतर महिलाओं को गर्भावस्था के लक्षण दिखाई देने लगते है। एक सप्ताह के अंदर-अंदर हल्का रक्तस्राव होने लगता है। इसके अलावा योनि स्राव, बुखार, पेट दर्द आदि का भी अनुभव हो सकता है।
प्रेग्नेंट होने के लक्षण कितने दिन में पता चलते है?
प्रेग्नेंट होने के लक्षण अलग-अलग महिलाओं को अलग-अलग समय पर पता लगते है। आमतौर पर इसके लक्षण एक सप्ताह के अंदर दिखाई देने लगते है। अधिकतर महिलाओं को इसका पता मासिक धर्म न होने पर चलता है।
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