जब हमारे शरीर का तापमान सामान्य अवस्था से अधिक हो जाता है तो उस स्थिति को बुखार कहते है। मेडिकल भाषा में इसे हाइपरथर्मिया और पायरेक्सिया के नाम से जाना जाता है। शरीर का सामान्य तापमान 98.6 डिग्री फारेनहाइट होता है। अगर तापमान इससे अधिक बढ़ने लगता है तो उसे बुखार के रूप में परिभाषित किया जाता है।
दरअसल बुखार बीमारी से लड़ने का एक तरीका है क्योकि शरीर अपना तापमान बढ़ाकर बैक्टीरिया, वायरस, फंगस व अन्य रोगजनकों से लड़ता है। हमारे शरीर का तापमान 41 से 42 डिग्री सेल्सियस (105.8 से 107.6 डिग्री फारेनहाइट) से ऊपर नहीं जाता है।
आमतौर पर बुखार तब होता है जब हमारा इम्यून सिस्टम शरीर में संक्रमण पैदा करने वाले रोगजनक की उपस्थिति का पता लगाते है। इससे शरीर के तापमान में वृद्धि होने लगती है। इसके अलावा कई अन्य कारक भी शरीर के तापमान को प्रभावित कर सकते है। आहार, व्यायाम और नींद जैसे कारणों से भी हमारे शरीर के तापमान में बदलाव होने लगता है। शरीर के तापमान में थोड़ी वृद्धि होने पर यह अपने आप ठीक हो सकता है। अगर तापमान अधिक बढ़ता है तो इसके उचित इलाज की ज़रूरत होती है।
बुखार विभिन्न प्रकार के हो सकते है। इसके सबसे प्रमुख प्रकार निम्नलिखित है।
अगर शरीर का तापमान 24 घंटे तक सामान्य से ज़्यादा रहता है और इसमें एक डिग्री सेल्सियस से अधिक बदलाव नहीं होता है तो इसे लगातार होने वाले बुखार माना जाता है। इस प्रकार के बुखार में लोबर निमोनिया, ब्रुसेलोसिस, टाइफाइड, टाइफस आदि आते है।
इस प्रकार का बुखार में आमतौर पर ठंड लगती है। इस बुखार में उच्च तापमान केवल कुछ घंटों के लिए रहता है और बाकी पूरे दिन तापमान सामान्य रहता है। हर दूसरे दिन या कुछ दिनों बाद में यह बुखार होता है। इस तरह के बुखार में मलेरिया, प्यूमा, सेप्टीसीमिया आदि आते है।
आमतौर पर इस तरह के बुखार कभी चढ़ते है तो कभी उतरते है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि ये बुखार आसानी से उतरते नहीं है। इसमें शरीर का तापमान सामान्य से ऊपर रहता है और तापमान में दो डिग्री सेल्सियस से अधिक बदलाव नहीं आता है। इस प्रकार का बुखार टाइफाइड और संक्रमित एंडोकार्डिटिस के रोगियों में देखा जाता है।
इस प्रकार के बुखार में शरीर के तापमान में बार बार बदलाव होता है। शुरू के तीन दिन में तापमान उच्च रहता है उसके बाद यह हल्का हो जाता है। आमतौर पर एक सप्ताह के बाद ही यह बुखार उतरता है।
इस प्रकार का बुखार रुक-रुक कर होता है। यह एक प्रकार से बुखार की पुनरावृत्ति होती है जो कुछ दिनों से कुछ हफ्तों तक बनी रहती है। इस बुखार का एक पैटर्न होता है, जो बार-बार संक्रमण या नॉन-इन्फेक्शन्स इंफ्लेमेटरी रोगों के कारण हो सकता है।
इसमें तापमान काफी उच्च होता है। आम दवा से इस बुखार में कोई सुधार नहीं होता है। इसमें रोगी को अस्पताल में भर्ती कराकर उचित प्रकार से उसकी देखभाल करनी चाहिए।
आमतौर पर बुखार तब होता है जब हमारे मस्तिष्क का एक हिस्सा जिसे “हाइपोथैलेमस” व "थर्मोस्टेट" के रूप में जाना जाता है, शरीर के सामान्य तापमान के निर्धारित बिंदु को ऊपर ले जाता है। जिसकी वजह से हमे ठंड महसूस होने लगती है या कंपकपी का अनुभव होने लगता है। इसके बाद शरीर में ज़्यादा गर्मी उत्पन्न हो जाती है। जिसका परिणाम यह होता है कि हमारे शरीर का तापमान बढ़ने लगता है।
इस स्तिथि में शरीर का सामान्य तापमान पूरे दिन बदलता रहता है जैसे सुबह के समय शरीर का तापमान कम होगा और दोपहर या शाम को तापमान बढ़ जाता है। 98.6 F (37 डिग्री C) के तापमान को सामान्य माना जाता है। आमतौर से हमारे शरीर का तापमान निम्नलिखित कारणों से बढ़ सकता है।
-गर्मी की वजह से थकान होने पर
-संक्रमण होने पर
-सूजन से संबंधित समस्याएं जैसे रूमेटोइड गठिया होने पर
-ट्यूमर होने पर
-हाई ब्लड प्रेशर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली कुछ दवाएं जैसे एंटीबायोटिक्स और ड्रग्स
-डिप्थीरिया, टिटनेस और अकेल्लुलर पर्टुसिस डीटीएपी व न्यूमोकोकल वैक्सीन जैसे टीकाकरण से फूड पॉइजनिंग
-गर्मी से थकावट होने पर
-रक्त के थक्के होने पर
-हाइपरथायरायडिज्म और अन्य हार्मोनल विकार होने पर
-कोरोना वायरस होने पर आदि, आदि।
आमतौर पर बुखार के लक्षण उसके प्रकार व गंभीरता के आधार पर अलग-अलग हो सकते है। इसके सबसे सामान्य लक्षण निम्नलिखित है।
-शरीर के तापमान का 100.4 F (38 C) से अधिक होना
-दिल की धड़कन का बढ़ना या घबराहट होना
-पसीना आना
-त्वचा का गर्म होना
-शरीर में कंपकंपी होना
-सामान्य मौसम में ठंड लगना
-मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना
-बेहोशी, चक्कर आना या सिरदर्द होना
-कमजोरी व भूख में कमी होना
-उल्टी-दस्त होना
-सुस्ती होना
-गले में खराश, खांसी होना
इनके अलावा भी बुखार के अनेक लक्षण हो सकते है।
बुखार का निदान आसानी से किया जा सकता है। आमतौर से इसका निदान करने के लिए डॉक्टर थर्मामीटर का प्रयोग करते है। थर्मामीटर से मरीज़ के शरीर का तापमान जांचकर इसका निदान किया जा सकता है। कई बार रोगी के हाथ को छूने से भी बुखार का निदान हो जाता है। आमतौर से बुखार का निदान होने के बाद मरीज़ को आराम करने का सुझाव दिया जाता है। शारीरिक गतिविधियों करने से शरीर का तापमान और भी बढ़ जाता है।
कई बार बुखार की वजह से तब समस्या होती है जब किसी भी व्यक्ति को लंबे समय से बुखार हो लेकिन उसके कारणों का पता नहीं लग पाता हो। आमतौर पर बुखार का निदान करने के लिए डॉक्टर रोगी के लक्षण, मेडिकल हिस्ट्री और हाल ही में की गई यात्रा के बारे में जानकारी प्राप्त करते है। शारीरिक टेस्ट कर सकते है। इसके अलावा रक्त और पेशाब का परीक्षण व छाती का एक्स-रे करा सकते है।
लंबे समय तक रहने वाले बुखार का निदान करने के लिए कुछ विशेष परीक्षण भी कराए जा सकते है। मुंह के साथ-साथ मलाशय व बांह के नीचे या कान के अंदर के तापमान की जांच भी की जा सकती है। इसके अलावा विभिन्न प्रकार के परीक्षणों के साथ-साथ एक्स-रे और अन्य इमेजिंग स्कैन भी कराए जा सकते है।
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आमतौर पर बुखार का इलाज आसानी से हो जाता है। हल्का बुखार तो कुछ समय बाद स्वयं ही उतर जाता है। अधिकतर बुखारों का इलाज कुछ सरल उपायों से किया जा सकता है। लेकिन गंभीर बुखार होने पर ये आपके लिए खतरा पैदा कर सकता है।
तीन-चार दिन में अगर बुखार नहीं उतरता है या तापमान 103 डिग्री फ़ारेनहाइट को पार कर जाता है तो आपको डॉक्टर से सलाह लेने की ज़रूरत होती है। यह आपके शरीर में किसी गंभीर संक्रमण का संकेत हो सकता है। बुखार की सही स्थिति का पता लगाने के लिए डॉक्टर सबसे पहले तापमान की जांच करते है।
फिर वह एसिटामिनोफेन, इबुप्रोफेन, एस्पिरिन, क्रोसिन और अन्य काउंटर दवाएं आप को दे सकते है। जीवाणु संबंधी बीमारियों के लिए विशिष्ट एंटीबायोटिक की आवश्यकता होती है। अधिकांश फंगल संक्रमणों का इलाज एंटीफंगल दवाओं से किया जा सकता है।
यदि आपको गंभीर प्रकार का बुखार है जैसे टाइफाइड, डेंगू, वायरल, पीलिया, मलेरिया आदि तो इनका इलाज अलग तरीके से किया जाता है। इनके इलाज में आपको थोड़ी सावधानी बरतने की ज़रूरत होती है। अगर इनके इलाज में किसी तरह की कोई लापरवाही बरतते है तो इसके गंभीर परिणम भुगतने पड़ सकते है। कई लोगों को तो अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ जाता है।
बुखार में कुछ खाने काफी फायदेमंद साबित हो सकते है। चिकन सूप, शोरबा, लहसुन, नारियल पानी, शहद, अदरक, केले,दही, दलिया, स्ट्रॉबेरी, ब्लूबेरी, अनार, क्रैनबेरी, और ब्लैकबेरी जैसे फल का सेवन बुखार मे फायदेमंद रहता है।
बुखार के दौरान कैफीन युक्त चीजें जैसे चाय, कॉफी या शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।
बुखार के बाद शरीर कमजोर हो जाता है। शरीर को ताकत देने के लिए आप चिकन सूप पी सकते है। पानी की कमी को पूरा करने के लिए आप नारियल पानी का सेवन कर सकते है इससे आपका शरीर हाइड्रेट रहता है। इसके अलावा फ्रूट्स विशेष रूप से केले, हरी सब्जीयों, ड्राई फ्रूट्स का सेवन भी कर सकते है।
आयुष्कार कंपनी का आयुर्वेदिक कैप्सूल "डायनामाइट" स्टेमिना को बढ़ाने की एक बेहतरीन दवा है। कई ज़रूरी जड़ी बूटियो को मिलाकर इन कैप्सूल को तैयार किया गया है। आयुर्वेदिक होने की वजह से इन कैप्सूल का किसी प्रकार का कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है। आप इन कैप्सूल का इस्तेमाल करके अपने शरीर की ताकत को बढ़ा सकते है।
यदि आपको तेज बुखार हो गया है तो साफ कपड़े को ठंडे पानी में गीला करें और उसे निचोड़ कर अपने शरीर के विभिन्न अंगों जैसे माथे पर, बगल में, हाथ-पैर में पट्टी का इस्तेमाल करें। बुखार में शरीर पर गीला कपड़ा या फिर स्पॉन्ज रखने से बुखार कम हो जाता है।
बुखार के दौरान अगर पसीना आता है तो इसका मतलब है कि आपका शरीर धीरे-धीरे ठीक हो रहा है।
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