डायरिया को आम बोलचाल की भाषा में दस्त या लूज मोशन कहते है। यह पाचन तंत्र से संबंधित एक विकार है जिसमें मरीज को पतला मल होता है। आमतौर पर यह समस्या रोटावायरस के कारण होती है लेकिन कुछ मामलों में साल्मोनेला या ई. कोलाई जैसे जीवाणु के कारण भी यह हो सकता है। दुनिया भर से हर साल डायरिया के लगभग दो बिलियन मामले सामने आते है। सभी मामलों में डायरिया से पीड़ित रोगी के दस प्रतिशत से अधिक बच्चे होते है। विशेष प्रकार की दवाओं के सेवन, हार्मोनल विकार या आंतों में सूजन के कारण भी डायरिया हो सकता है। खान-पान और साफ-सफाई पर ध्यान देकर वायरस या बैक्टीरिया से होने वाले डायरिया को आसानी से रोका जा सकता है। आमतौर पर ऐसा देखा जाता है कि विकासशील देशों में डायरिया गंभीर रूप धारण कर लेता है।
डायरिया की एक विशेषता यह भी है कि इस स्थिति में पीड़ित द्वारा ढीले पानी के मल का अनुभव किया जाता है। हालांकि मल की स्थिरता सामान्य नहीं होती है। डायरिया के ज़्यदातर मामले कुछ बैक्टीरिया, परजीवी या वायरस के कारण होते है। यह स्थिति हल्के से लेकर खतरनाक तक हो सकती है। हर साल लाखों लोगों और बच्चों की मृत्यु इससे होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में डायरिया रोग मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है। हर साल डायरिया से पांच साल से कम उम्र के लगभग 525,000 बच्चों की मौत हो जाती है। दुनिया भर में हर साल बचपन में दस्त की बीमारी के लगभग 1.7 बिलियन मामले सामने आते है। पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में डायरिया कुपोषण का एक प्रमुख कारण है। सुरक्षित पेयजल और पर्याप्त साफ-सफाई के माध्यम से डायरिया रोग को रोका जा सकता है।
डायरिया को मुख्य रूप से तीन भागों एक्यूट डायरिया, परसिस्टेंट डायरिया और क्रोनिक डायरिया में विभाजित किया गया है।
एक्यूट डायरिया: यह सबसे आम प्रकार का डायरिया होता है जिसमें पानी जैसा पतला मल होता है। पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ लेने से यह समस्या अपने आप ही कम हो जाती है।
परसिस्टेंट डायरिया: इस प्रकार का दस्त लगभग दो से चार सप्ताह तक रहता है। इस स्थिति में दिन में तीन बार या उससे अधिक ढीले मल होते है। यह पीड़ित व्यक्ति में अत्यधिक कमज़ोरी कर देता है।
क्रोनिक डायरिया: इस प्रकार का डायरिया लंबे समय तक होता है। एक महीने तक चलना इसका आम है। इससे आपको कई तरह की परेशानी हो सकती है।
डायरिया का सबसे बड़ा कारण वायरस है जो आंतों पर बुरा प्रभाव डालता है। इस वायरस को गैस्ट्रो एंड्राइड व आंतों का फ्लू भी कहते है। हालांकि डायरिया के दूसरे भी कारण हो सकते है। इसके सबसे प्रमुख कारण इस प्रकार है।
डायरिया का निदान करने के लिए डॉक्टर आमतौर पर कई तौर-तरीके अपनाते है। दरअसल इसका निदान आसानी से किया जा सकता है। डॉक्टर सबसे पहले मरीज़ की मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पता करता है। इसके बाद स्टूल परीक्षण करा सकते है। यदि कोई व्यक्ति गंभीर या क्रोनिक डायरिया से पीड़ित है तो डॉक्टर कई अन्य प्रकार के परीक्षण करा सकते है। जैसे लिवर फंक्शन टेस्ट, कैल्शियम टेस्ट, पोषक तत्व बी-12, और फोलेट की अवधारणा की जांच आदि भी कर सकते है। आयरन की स्थिति और थायराइड के कार्य का मूल्यांकन भी किया जाता है। एंटीबॉडी के लिए परीक्षण और फुल ब्लड काउंट परीक्षण के साथ-साथ ईएसआर परीक्षण भी किए जा सकते है।
अधिकतर मामलों में डायरिया का इलाज आसानी से किया जा सकता है। आमतौर पर इसमें बार-बार पतला मल होता है जिसके कारण शरीर में पानी की कमी हो जाती है। पानी की कमी के कारण शरीर में कमजोरी और दूसरी समस्याएं विकसित हो जाती है। ऐसे में शरीर में पानी की कमी को दूर करने के लिए डॉक्टर अधिक से अधिक तरल पदार्थों के सेवन का सुझाव देते है। शरीर में पानी की कमी को पूरा करने के लिए डॉक्टर इलेक्ट्रोलाइट या स्पोर्ट्स ड्रिंक आदि का भी सुझाव दे सकते है। डायरिया की स्थिति गंभीर होने के मामले में डॉक्टर इंट्रावीनस के माध्यम से शरीर में तरल पदार्थ पहुंचाते है ताकि शरीर की कमजोरी को दूर किया जा सके। ज्यादातर मामलों में डिहाइड्रेशन को रोकने के लिए खोए हुए फ्लूइड को बदलना ही एकमात्र आवश्यक इलाज होता है। डायरिया को रोकने वाली दवाएं कुछ मामलों में मददगार हो सकती है लेकिन उन लोगों के लिए इसकी सिफारिश नहीं की जाती है जिनका डायरिया एक बैक्टीरियल संक्रमण या पैरासाइट के कारण होता है। अगर डायरिया का कारण बैक्टीरिया है तो डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाएं देते है। वायरल कारणों का या तो दवा के साथ इलाज किया जाता है या वायरस की गंभीरता और प्रकार के आधार पर इलाज किया जाता है। डिहाइड्रेशन से बचने के लिए बहुत सारे फ्लुइड्स पीने में मदद मिल सकती है। इसमें आमतौर पर चावल, केला, दही और पनीर सहित कुछ खाद्य पदार्थ मल को गाढ़ा करते है।
डायरिया की रोकथाम आसानी से की जा सकती है। इसकी रोकथाम करने के लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना है। आमतौर पर इसकी रोकथाम के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए जाते है।
दरअसल डायरिया भोजन से जुड़ा हुआ होता है क्योंकि यह डाइजेस्टिव सिस्टम को अच्छे या बुरे तरीके से प्रभावित करता है। कई खाद्य पदार्थ जैसे दूध, डेयरी उत्पाद, गर्म व मसालेदार भोजन, तली हुई वसा युक्त खाद्य पदार्थ, कच्ची सब्जियां, प्रोसेस्ड के साथ-साथ जंक फूड और सार्डिन का सेवन इसमें नहीं करना चाहिए है। चावल, केला, दही और पनीर सहित कुछ खाद्य पदार्थ का सेवन बेहतर रहता है। यह मल को गाढ़ा करते है।
इसके अलावा भोजन तैयार करने से पहले आवश्यक है कि व्यक्ति अपने हाथ धोए। शौचालय का उपयोग करने, डायपर बदलने, खांसने, छींकने के बाद हाथ धोएं या हैंड सैनिटाइजर का उपयोग करें। रोटावायरस से शिशुओं की सुरक्षा के लिए वैक्सीनेशन करें। उबला हुआ पानी या मिनरल वाटर लेना बेहतर रहता है। यहां तक कि चाय और कॉफी जैसे पेय पदार्थ भी उबले हुए पानी से ही बनाने चाहिए।
डायरिया क्या है और कैसे होता है?
डायरिया पाचन तंत्र से संबंधित एक विकार है जिसमें मरीज को पतला मल होता है। डायरिया की समस्या रोटावायरस के कारण होती है लेकिन यह साल्मोनेला या ई. कोलाई जैसे जीवाणु के कारण भी हो सकती है। दुनिया भर में हर साल डायरिया के लगभग दो बिलियन मामले सामने आते है।
डायरिया का मुख्य कारण क्या है?
डायरिया पाचन तंत्र से संबंधित रोग है। यह मुख्य रूप से रोटावायरस के कारण होता है। इसके अलावा यह साल्मोनेला या ई. कोलाई जैसे जीवाणुओं के कारण भी हो सकता है। हार्मोनल विकार, आंतों मे सूजन, दवाओं के प्रयोग आदि के कारण भी यह रोग हो सकता है।
डायरिया में कौन सी टेबलेट दी जाती है?
आमतौर पर डायरिया के इलाज के लिए लोमोटिल टैबलेट जो एक कॉम्बिनेशन दवा है का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा भी कई अन्य प्रकार के नुस्खों का प्रयोग किया जा सकता है। जो डायरिया के लक्षणों जैसे की पेट में दर्द, ऐंठन और पतले दस्त आदि को प्रबंधित करती है।
डायरिया कितने प्रकार के होते है?
डायरिया को मुख्य रूप से तीन भागों एक्यूट डायरिया, परसिस्टेंट डायरिया और क्रोनिक डायरिया में विभाजित किया जाता है। एक्यूट डायरिया सबसे आम प्रकार का डायरिया होता है जिसमें पानी जैसा पतला मल होता है।
Subscribe to our Newsletter and make your informed health decisions. Get essential health insights and updates delivered straight to your inbox. Join now for a healthier you.