पिछले कुछ समय से थायराइड की बीमारी तेजी से फैल रही है। एक अनुमान के मुताबिक आने वाले समय में थायराइड काफी तेज़ी से लोगों को प्रभावित करेगा। थायराइड पुरुष और महिला दोनों को प्रभावित करता है लेकिन यह पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक प्रभावित करता है। गर्भावस्था और डिलीवरी के पहले तीन महीनों के दौरान करीब 44 फ़ीसदी महिलाओं में थायराइड की समस्या पैदा हो जाती है। थायराइड क्या होता है? थायराइड गर्दन के पास तितली के आकार की एक ग्रंथि यानी ग्लैंड होती है। यह ग्रंथि दिल, दिमाग और शरीर के दूसरे महत्वपूर्ण अंगों को सही तरीके से चलाने वाले हार्मोन पैदा करती है। इसके अलावा यह शरीर को ऊर्जा का उपयोग करने में सक्षम बनाती है। जब यह ग्रंथि कम या ज्यादा हार्मोन छोड़ती है तो थायराइड के लक्षण दिखाई देने लगते है। थायराइड की बीमारी तेज़ी से अपने पैर पसार रही है। भारत में हर 10 में से एक व्यक्ति इस समस्या से जूझ रहा है। आकड़ो के अनुसार भारत में 2021 में तकरीबन 4.2 करोड़ थायराइड के मामलें सामने आए थे। आने वाले समय में इसके मरीज़ो की संख्या और भी तेज़ी से बढ़ने का अनुमान है। इस बीमारी की सबसे बड़ी परेशानी यह है कि तकरीबन एक तिहाई लोगों को पता ही नहीं होता कि वे इससे पीड़ित है।
आमतौर पर थायराइड को दो भागों में विभाजित किया जाता है पहला हाइपरथायराइड और दूसरा हाइपोथायराइड। इसके अलावा एक और स्थिति होती है जिसे गॉयटर के रूप में जाना जाता है। थायराइड ग्रंथि जब शरीर के लिए पर्याप्त हार्मोन विकसित नहीं कर पाती है तो इसे हाइपोथायराइड कहा जाता है। इस स्थिति में शरीर पहले जैसा सक्रिय नहीं रह पाता है और इसके रोगी जल्दी थक जाते है। इसमें थायराइड ग्रंथि से ट्राई आयोडीन थायरोक्सिन (टी3) और थायरोक्सिन (टी4) हार्मोन निकलने कम हो जाते है और थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन बढ़ जाता है। अगर यह ग्रंथि ज्यादा हार्मोन पैदा करने लगे तो इसे हाइपरथायराइड कहते है। इस स्तिथि में रोगी निढ़ाल हो जाते है। तीसरी स्थिति यानी गॉयटर में थायरॉइड ग्रंथि में सूजन हो जाती है। यह गंभीर स्तिथि होती है जिसे दवाओं से ठीक नहीं किया जा सकता है। इसे ठीक करने के लिए सर्जरी करने की ज़रूरत पड़ सकती है।
थायराइड से पीड़ित रोगियों को अनेक प्रकार के लक्षणों का अनुभव करना पड़ सकता है। थायराइड ग्रंथि में थायराइड हार्मोन का निर्माण आवश्यकता से अधिक बढ़ या घट जाता है। अलग-अलग रोगियों में इसके लक्षण अलग-अलग हो सकते है। इसके सबसे आम लक्षण इस प्रकार है।
हाइपोथायराइड से पीड़ित रोगियों में निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते है
- वजन बढ़ना
- कमजोरी व थकान का अनुभव होना
- आवाज का भारी होना
- पीरियड्स में ब्लीडिंग अधिक होना
- त्वचा में रूखापन आना
- बालों का मोटा होना
- कब्ज होना
- दिल की धड़कन का धीमी होना
- कोलेस्टेरोल बढ़ना
- ठंड अधिक होना
- अवसाद होना
- याददाश्त कमजोर होना
- मांसपेशियों में दर्द होना
हाइपरथायराइड के सबसे महत्वपूर्ण लक्षण निम्नलिखित प्रकार के हो सकते है।
-वजन कम होना
-थायराइड ग्रंथि का आकार बढ़ना
- तनाव अधिक होना
- पीरियड्स का बंद या अनियमित होना
- घबराहट और चिड़चिड़ापन होना
- आँखों में जलन होना
- नींद सही से न आना
महिलाओं में थायराइड होने के अनेक कारण हो सकते है। इसके सबसे प्रमुख कारणों में महिला के शरीर में हार्मोनल असंतुलन का होना होता है। इसके अलावा यह वायरल संक्रमण की चपेट में आने, लंबे समय तक तनाव में रहने, गर्भावस्था के बाद शरीर में बदलाव आने, आयोडीन की कमी होना के कारण भी हो सकता है।
यदि थायराइड का समय पर उचित इलाज नहीं होता है तो यह गंभीर रूप धारण कर सकता है। इससे शरीर के दूसरे अंगों पर भी प्रभाव पड़ सकता है। अमूमन ऐसा देखा गया है कि इसके रोगियों को सही इलाज न मिलने के कारण कई प्रकार की मस्तिष्क से सम्बंधित समस्याएं भी पैदा हो सकती है। थायराइड की वजह से दिल की धड़कन बढ़ती-घटती है जिससे दिल की बीमारियां पैदा हो सकती है। थायराइड में सोडियम का स्तर गिरने से मरीज कोमा में भी जा सकता है। बच्चों के पैदा होने के बाद यदि यह समस्या पहचानी नहीं जाती है तो इससे उनका मानसिक विकास रुक सकता है। उनका आईक्यू लेवल कम हो सकता है। कई रोगियों को इसके चलते अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ जाता है। अगर समय पर इसका इलाज किया जाएं तो आसानी से इससे बचा जा सकता है।
थायराइड का इलाज करते हुए थायराइड हार्मोन के स्तर को सामान्य किया जाता है। यह विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है। इसका इलाज रोगी की स्थिति और थायराइड के प्रकार के आधार पर अलग-अलग हो सकता है। यदि आप थायराइड हार्मोन के उच्च स्तर से पीड़ित है तो इसके इलाज के लिए निम्नलिखित दवाई ले सकते है।
एंटी-थायराइड दवाएं (मेथिमाज़ोल और प्रोपाइलथियोरासिल): ये दवाएं आपके थायराइड को हार्मोन बनाने से रोकती है।
रेडियोधर्मी आयोडीन: इससे थायराइड की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है जिससे थायराइड हार्मोन के उच्च स्तर को बनाने से रोका जा सकता है।
बीटा ब्लॉकर्स: ये दवाएं आपके शरीर में हार्मोन की मात्रा में बदलाव नहीं करती है लेकिन ये थायराइड के लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद करती है।
सर्जरी: थायराइड के इलाज का एक विकल्प सर्जरी भी है। सर्जरी आमतौर पर गंभीर प्रकार के लक्षणों वाले रोगियों के लिए अनुशासित की जाती है। इससे थायराइड का इलाज स्थाई रूप से हो जाता है।
इसके अलावा यदि आप थायराइड हार्मोन के निम्न स्तर से पीड़ित है तो ये दवाई आपको दी जा सकती है।
थायराइड प्रतिस्थापन दवा: इसके माध्यम से आपके शरीर में थायराइड हार्मोन वापस जोड़ने का प्रयास किया जाता है। आमतौर पर इसमे इस्तेमाल होने वाली दवा को लेवोथायरोक्सिन के रूप में जाना जाता है। इस दवा का उपयोग करके आप थायराइड रोग का प्रबंधन कर सकते है।
थायराइड से जूझ रही महिलाओं की सेहत पर और भी गंभीर प्रभाव पड़ सकते है। इसका उचित इलाज न होने पर महिलाओं के सम्पूर्ण स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। थायराइड के कारण महिला का यौवन या मासिक धर्म समय से जल्दी या बहुत देरी से आते है। ये महिलाओं के ओवुलेशन को भी प्रभावित कर सकता है। कुछ मामलों में ये ओवुलेशन को पूर्ण रूप से बंद भी कर सकते है। अंडाशय से अंडा रिलीज होकर फैलोपियन ट्यूब में जाने की प्रक्रिया को ओवुलेशन कहते है। थायराइड के कारण ओवरी यानी अंडाशय में सिस्ट बन सकते है और गर्भवस्था के दौरान भ्रूण को नुकसान पहुंच सकता है। थायराइड की कमी के कारण गर्भपात, समय से पहले डिलीवरी, स्टिलबर्थ यानी डिलीवरी से पहले शिशु की मृत्यु होना, हेमरेज आदि का खतरा भी बढ़ जाता है। विशेषज्ञ का यह भी मानना है कि थायराइड के कारण कम उम्र में भी मेनोपॉज आ सकते है। इतना ही नहीं थायराइड हार्मोन में उतार-चढ़ाव के कारण हल्का या हेवी मासिक धर्म, अनियमित मासिक धर्म, मासिक धर्म नहीं आना आदि की समस्याएं भी पैदा हो सकती है।
थायराइड के शुरुआती लक्षण क्या है?
वजन कम होना,तनाव महसूस करना, थायराइड ग्रंथि का आकार बढ़ना, घबराहट और चिड़चिड़ापन होना, नींद सही से न आना, मासिक धर्म अनियमित होना आदि थायराइड के लक्षण होते है।
मैं घर पर थायराइड की जांच कैसे कर सकता हूं?
शीशे के सामने ऐसे खड़े हो कि आप अपनी गर्दन देख सकें। धीरे-धीरे अपनी गर्दन को पीछे की ओर फैलाएं। अपनी ठुड्डी को छत की ओर थोड़ा सा इंगित करें ताकि आप अपनी गर्दन को अच्छे से देख सकें। अब अपनी गर्दन को थोड़ा पीछे की ओर रखते हुए पानी की एक घूंट लें और निगल लें। यह क्रिया आपके स्वरयंत्र (लरिंगो) की स्थिति को आगे बढ़ाएगी। इससे आप अपनी थायराइड ग्रंथि के आकार को बेहतर तरीके से देख सकते है।
थायराइड के चेतावनी संकेत क्या है?
तेजी से वजन बढ़ना या कम होना थायराइड का प्रारंभिक चेतावनी संकेत है। इसके अलावा ऊर्जा की कमी, बालों का झड़ना व पतले होना, मूड स्विंग, अवसाद व चिंता, मांसपेशियों में दर्द आदि थायराइड के चेतावनी संकेत होते है।
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