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कब्ज एक ऐसी बीमारी है जिससे हर दूसरा व्यक्ति परेशांन रहता है। यह बीमारी काफी तेज़ी से बढ़ रही है। दरअसल इस बीमारी में हमारा पेट सही से साफ़ नहीं हो पाता है। हम जो कुछ खाते है उसका मल हमारे पेट में ही जमा रहता है। पेट में मल जमने की वजह से गैस, एसिडिटी, पेट में भारीपन, पेट व सीने में दर्द के साथ-साथ, सिर दर्द जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई बार कब्ज गंभीर स्थिति धारण कर लेता है जिसके कारण कई प्रकार की बीमारिया होने का खतरा पैदा हो जाता है। समय रहते इस बीमारी का इलाज कराना बेहतर रहता है।
आसान शब्दों में इसे ऐसे समझ सकते है कि जब मल त्याग ठीक से नहीं होता है या कम होता है और पेट में भारीपन का अनुभव होता है तो उस स्थिति को कब्ज कहते है। दूसरे शब्दों में इसे ऐसे भी समझ सकते है कि जब मल बहुत कड़ा हो जाता है और मल त्याग करते समय परेशानी होती है तो उस स्थिति को कब्ज कहा जाता है। कब्ज होने पर पाचन तंत्र खराब होने लगता है। पाचन तंत्र के खराब होने के कारण शरीर से मल निकलने की मात्रा बहुत कम हो जाती है और मल निकालने के लिए जोर लगाना पड़ता है। इसमें मल निकलने की आवृति भी घट सकती है। मल के कड़ा होने की वजह से मल त्याग करते हुए पेट और गुदा में दर्द भी हो सकता है। कई बार यह दर्द काफी तीव्र होने लगता है जिसको तुरतं कम करने के लिए दवा की ज़रूरत हो सकती है।
मल त्याग अलग-अलग व्यक्तियों को अलग-अलग समय में हो सकता है। कई व्यक्तियों को यह दिन में दो बार भी हो सकता है और कई को दो दिन में एक बार ही हो पाता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार एक स्वस्थ्य इंसान को रोज़ाना कम से कम एक बार मल त्याग होना चाहिए। सप्ताह में कम से कम 12 बार मल त्याग होना बेहतर होता है । एक सप्ताह में 12 बार मल त्याग करना स्वस्थ शरीर का लक्षण माना जाता है। कब्ज में भयंकर गैस की समस्या होती है जो विभिन्न स्थितियां पैदा कर सकती है। यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है। कब्ज की समस्या से वृद्ध व्यक्तियों के साथ-साथ बच्चे भी बड़ी संख्या में प्रभावित होते है। कई व्यक्तियों को यह इतना गंभीर होता है कि वे दो-तीन दिन तक मल त्याग नहीं कर पाते है। कब्ज का इलाज यदि समय पर नहीं किया गया तो यह कई प्रकार की बीमारियां पैदा कर सकता है। एक स्वस्थ इंसान को एक दिन में कम से कम एक बार मल त्याग करना चाहिए क्योंकि इससे पेट साफ रहता है। जब पेट साफ रहता है तो पेट से संबंधित बीमारी उत्पन्न नहीं होती है।
कब्ज से पीड़ित व्यक्ति शारीरिक व मानसिक रुप से परेशान रहता है। इससे पीड़ित व्यक्ति सुकून का जीवन नहीं बिता पाता है। वह कही आने-जाने में भी कतराने लगता है। आमतौर पर कब्ज़ दो प्रकार के होते है। पहला गंभीर कब्ज व दूसरा क्रोनिक यानी पुरानी कब्ज।
गंभीर कब्ज: आमतौर पर इस प्रकार का कब्ज काफी खतरनाक होता है। गंभीर कब्ज में मल या तो निकलता नहीं है या फिर बड़ी मुशिकल में थोड़ा सा ही निकलता है। इस प्रकार के कब्ज में पेट से गैस भी नहीं निकलती है। इससे पीड़ित व्यक्ति वास्तव में काफी परेशांन रहता है।
पुरानी कब्ज़ : इस प्रकार के कब्ज़ में मल तो निकलता है लेकिन इससे पीड़ित व्यक्ति को काफी परेशानी हो सकती है। इस स्तिथि में मल कड़ा हो जाता है और बहुत ही कम मात्रा में बाहर आता है। इसमें मल त्याग के बाद कभी भी संतुष्टि नहीं होती है।
कब्ज के लक्षण विभिन्न प्रकार के हो सकते है। आमतौर पर इसके सबसे प्रमुख लक्षण इस प्रकार है।
- कब्ज होने पर भूख कम लगती है।
- पेट में भारीपन रहता है।
- पेट में गंभीर गैस बनती है।
- मल त्याग नहीं होता है।
- पेट में मरोड़ होने लगती है।
- कब्ज़ गंभीर होने पर सांस से बदबू आने लगती है।
- सिर दर्द होता है।
- कमर दर्द होता है।
- नाक का बहना शुरू हो जाता है।
- चक्कर आते है।
- जी मिचलाता है।
- मुहासे निकलने लगते है।
-आंखों में जलन होने लगती है।
- कमजोरी का अनुभव होता है।
- जीभ सफेद या मटमैली हो जाती है।
- मुंह में छाले होने लगते है।
क़ब्ज़ के विभिन्न कारण हो सकते है। आमतौर पर इसके सबसे प्रमुख कारण इस प्रकार है।
- भोजन में फाइबर की मात्रा कम होने पर कब्ज होने की संभावना बढ़ जाती है। फाइबर भोजन के साथ आंतों में जाकर अपनी जगह बना लेता है और भोजन को पचाने में मदद करता है। भोजन में फाइबर की कमी होते ही कब्ज की समस्या शुरू हो जाती है। इसलिए ज़रूरी है कि अपने भोजन में फाइबर को ज़रूर शामिल करें।
- कई बार पेशाब को देर तक रोक कर रखने से भी कब्ज हो जाता है। पेशाब को देर तक रोकने से न सिर्फ मूत्र मार्ग से संबंधित रोग हो सकता है बल्कि कब्ज की भी समस्या पैदा हो सकती है।
- नींद पूरी न लेने की वजह से भी कब्ज हो जाता है। एक स्वस्थ व्यक्ति को कम से कम सात से आठ घंटे तक की नींद लेनी चाहिए। पर्याप्त नींद न लेने के कारण पाचन तंत्र ठीक से काम नहीं कर पाता है और कब्ज होने लगता है।
- कई बार कम भोजन करने से भी कब्ज हो जाता है।
- शरीर में अगर पानी की कमी होती है तो कब्ज होने की संभावना अधिक रहती है।
- शारीरिक श्रम न करने से भी कब्ज की समस्या हो सकती है। शारीरिक गतिविधियों कम करने या न करने से आलस्य अधिक रहता है। इससे हमारा मेटाबॉलिज्म खराब हो जाता है और कब्ज हो जाता है।
- विभिन्न प्रकार की दवाओं के सेवन से भी कब्ज हो जाता है।
- विभिन्न प्रकार की बीमारियां जैसे आंत, लिवर और तिल्ली होने पर भी कब्ज की समस्या हो सकती है।
- तनाव, अवसाद व चिंता की स्थिति में कब्ज होने की संभावना बढ़ जाती है।
-अगर भोजन को बिना चबाएं खाते है तो उससे भी कब्ज़ होने की संभावना रहती है।
- थायरॉयड हार्मोन के कम बनने व कैल्शियम और पोटेशियम की मात्रा कम होने पर भी कब्ज हो जाता है।
- अधिक समय में पचने वाले भोजन का सेवन करने से भी कब्ज होने की संभावना रहती है।
- इसके अलावा सही समय पर भोजन न करने, चाय, कॉफी बहुत ज्यादा पीने, धूम्रपान करने व शराब पीने, ज्यादा उपवास करने से भी कब्ज हो जाता है।
कब्ज का इलाज कोई मुश्किल नहीं होता है। दरअसल इसके इलाज के कई तरीके उपलब्ध है। आप घर पर रहकर भी इसका इलाज देसी नुस्खों कर सकते है। आईए जानते है कुछ ऐसे उपायों के बारे में जो इसके इलाज में काफी सहायक होते है।
- कब्ज होने पर नींबू पानी के साथ नमक मिलाकर पीने से काफी राहत मिलती है। दरअसल नींबू में साइट्रिक एसिड और नमक में सोडियम क्लोराइड पाए जाते है। जब पानी के साथ नींबू और नमक का इस्तेमाल करते है तो पेट को साफ करने की क्षमता बढ़ जाती है।
- पपीते का सेवन कब्ज को तोड़ सकता है। पपीते में पपाइन नामक तत्व होता है जो भोजन को पचाने का काम करता है। इसमें विटामिन-बी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। यह शरीर को डिटॉक्स करने में भी मदद करता है। पपीते को कब्ज की दवा भी कहा जाता है। दरअसल यह आंतों के लिए ल्यूब्रिकेंट का काम करता है यानी मल को मुलायम कर पेट को साफ करता है।
- शहद के सेवन से भी कब्ज ठीक हो सकता है। शहद में एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटीमाइक्रोबियल व एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते है जो कब्ज को ठीक करने में सहायक होते है। यह आंतों को साफ करने के लिए ल्यूब्रिकेंट का काम करता है।
-अमरूद कब्ज को सही करने में काफी सहायक होता है। दरअसल इसमें विटामिन-सी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। अमरूद को काले नमक के साथ खाने से पाचन तंत्र मजबूत होता है। इसके बीजों को चबा-चबा कर खाना चाहिए क्योंकि इससे पेट से संबंधित बीमारियों से राहत मिलती है।
- कब्ज में किशमिश का सेवन भी काफी फायदेमंद रहता है। किशमिश में एंटीऑक्सीडेंट के साथ-साथ कई विटामिन व मिनरल्स पाए जाते है। इसके सेवन से कब्ज में काफी राहत मिलती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
कब्ज किसकी कमी से होता है?
कब्ज का सबसे बड़ा कारण होता है भोजन में फाइबर की कमी का होना। इसके अलावा लाइफस्टाइल से संबंधित व विभिन्न प्रकार की बीमारियों व दवाओं के सेवन से भी कब्ज हो सकता है।
कब्ज को जड़ से खत्म करने के लिए क्या करना चाहिए?
कब्ज का इलाज मुश्किल नहीं होता है। कई घरेलू उपायों को अपनाकर भी इसे प्रबंधित किया जा सकता है। स्वस्थ भोजन व लाइफस्टाइल को बेहतर करने से कब्ज को जड़ से खत्म किया जा सकता है।
पेट में कब्ज रहने से क्या होता है?
कब्ज रहने से मल त्याग करने में परेशानी होती है। कब्ज के गंभीर होने पर कई तरह की बीमारियां पैदा हो सकती है। कब्ज के कारण गैस होने पर हमारा व्यवहार बेहतर नहीं रहता है। हम कहीं बाहर आने-जाने में भी कतराने लगते है।
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